25 करोड मुसलमानों के लिए 25 बडी बडी पार्टीयाँ खडी हैं और 25 छोटी मोटी पार्टीयाँ .... और एकमात्र पार्टी जो राष्ट्रवादी है जो थोडा बहूत अपने धर्म के बारे में भि सोचती है ऊस पार्टी को सांप्रदायिक घोषित कर दिया है ..... मैं पूछता हूँ 100 करोड हिन्दूऔं कि ईस देश मेँ कोई औकात है या नहीं ???? क्या हिन्दूऔं को केवल शेक्यूलर पंथी का चोला औढ कर बैठ जाना चाहिए ????? खून खौलता नहीं क्या ?? या फिर मर्द के भेष में सब नामर्द हो गये हैं ??? क्या 25 करोड मुसलमान 100 करोड हिन्दूऔं पर हावी हो गये जो ये पार्टीयाँ केवल मुस्लिम हितैषी हो चुकि हैं ????? कारण एक हि है ये पार्टीयाँ जान चूकि हैं के हिन्दू महाचूतिया हैं , बटे हूए हैं जात पात के नाम पर और ईन चूतिया लोगों को कैसे चूतिया बनाएँ ... ये सब जान चुके हैं ..... अरे मित्रौं अब भि वक्त है जाग जाऔ .... ये देश हमारा था , है और अपना हि रखने के लिए एक हो जाऔ , नहीं तो आने वाले 10-15 सालों में मुसलमानों का राज होगा भारत पर..... एक हि विकल्प हिन्दी हिन्दू हिन्दूस्तान .... अब नहीं जागे तो कभि नहीं जागोगे ..... जय महाकाल
Posted on: Thu, 20 Jun 2013 05:46:07 +0000
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