Belated Misc Updates :- छतरी लगा के घर से निकलने लगें है हम, अब कितनी एहतीयात से चलने लगे है हम इस दरजा होशीयार तो पहले कभी न थे, अब क्यों कदम कदम पे संभलने लगे है हम .......एहतीयात ( cautiously) . जमाने के सवालों को, मैं हंस के टाल दूँ लेकिन, नमीं आँखों की कहती है, मुझे तुम याद आते हो .... वो जो आए मेरी महफिल में, इस नजाकत सें, दिल तो गया ही यारो, ईमान भी गय़ा ........ जिसे मैंने अपने दिल में, मेहमां बना रखा है उसने मुझे अपने शौक़ का, सामां बना रखा है .......शौक़ का सामां (an item of pleasure)
Posted on: Sun, 01 Sep 2013 06:53:12 +0000
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