FB 387 - And my Fathers words ring true today from his immortal Madhushala .. एक बरस में एक बार ही जलती होली कि ज्वाला और एक बार ही लगती बाज़ी जलते दीपों कि माला , दुनिया वालों किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखो , दिन को होली रात दीवाली , रोज़ मनाती मधुशाला ~
Posted on: Sat, 02 Nov 2013 18:03:57 +0000
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