FB 558 - My friend and writer, poet, lyricist and screenplay - TopicsExpress



          

FB 558 - My friend and writer, poet, lyricist and screenplay writer, Prasoon Joshi .. who has given some exceptional lyrics for songs in film, and screenplay dialogues for Bhaag Milkha Bhaag, sends me this latest poem of his .. I am the first person he has sent it to ... and it is being published here on my site for the first time .. लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है इस पल की गरिमा पर जिनका थोड़ा भी अधिकार नहीं है इस क्षण की गोलाई देखो आसमान पर लुढ़क रही है नारंगी तरुणाई देखो दूर क्षितिज पर बिखर रही है पक्ष ढूंढते हैं वे जिनको जीवन ये स्वीकार नहीं हैं लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है नाप नाप के पीने वालों जीवन का अपमान न करना पल पल लेखा जोखा वालों गणित पे यूँ अभिमान न करना नपे तुले वे ही हैं जिनकी बाहों में संसार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है ज़िंदा डूबे डूबे रहते मृत शरीर तैरा करते हैं उथले उथले छप छप करते गोताखोर सुखी रहते हैं स्वप्न वही जो नींद उडा दे वरना उसमे धार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है कहाँ पहुँचने की जल्दी है नृत्य भरो इस खालीपन में किसे दिखाना तुम ही हो बस गीत रचो इस घायल मन में पी लो बरस रहा है अमृत ये सावन लाचार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है कहीं तुम्हारी चिंताओं की गठरी पूँजी ना बन जाए कहीं तुम्हारे माथे का बल शकल का हिस्सा न बन जाए जिस मन में उत्सव होता है वहाँ कभी भी हार नहीं है लक्ष ढूंढ़ते हैं वे जिनको वर्त्तमान से प्यार नहीं है ~ Prasoon Joshi
Posted on: Sun, 20 Apr 2014 19:02:44 +0000

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