via-> भारतीय हू इंडियन मत समझना जब भारत मे फ़िल्मों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था तो कोई भी लड़की फ़िल्मों मे काम करने के लिए तैयार नही थी| तब फिल्मी निर्माताओ ने वेश्याओ से फ़िल्मों के काम करवाया था। ये फ़िल्मों के शुरुवाती चरण का सत्य है। परंतु आज मैं किसी भी छोटी बच्ची से पूछो कि तुम क्या बनाना चाहती हो तो वो कैटरीना, करीना,बिपाशा आदि बनाना चाहती है और हद तो तब होती है जब उन के माता-पिता उन की बात पर हँसते है। अरे ! किस को नही पता कि फिल्मी हीरोइन बनाने के लिए फिल्म के निर्देश और निर्माता के कमरे से निकाल कर जाना होता है| एक वेश्या मजबूरी मे अपने जिश्म को बेचती है और दिन के उजाले मे कभी बाहर नही निकलती परंतु एक हीरोइन सुबह से शाम तक अपने जिश्म की नुमाइश करती नज़र आती है। अरे ! किस को नही पता कि हीरोइन के बॉयफ्रेंड का मतलब क्या होता है फिर कहाँ रहते है उन के माँ-बाप?? आज हम एक हीरोइन के बीमार होने पर तो चिंतित और यज्ञ करने लगते है परंतु शहरो की उन अंधकार से भरी गलियों मे रहने वाली लड़कियो की चीख़ो को नही सुन पाते, जिन के शरीर को लोग कुत्ते और गिद्धो की तरह सुबह से शाम तक नोचते है। बहुत कुछ बोलना है परंतु समझना किस को है - करो भैया आप भी भारत निर्माण करो !! वंदेमातरम् #suhasini
Posted on: Sun, 30 Jun 2013 05:54:07 +0000
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