आज एक गैर-मुस्लिम ने एक पेज पर सवाल पुछा कि मुस्लिम तो दुनिया में २०-३०% ही हैं तो इस्लाम सच्चा कैसे हो गया? अगर अनुयायी ही किसी धर्म की सत्यता जांचने का तरीका होते तो भक्त तो निर्मल बाबा के भी मिल जायेंगे क्या वो सच्चे हो गया? जब मुहम्मद (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने सनातन सत्य धर्म इस्लाम की की और लोगों को फिरसे बुलाना शुरू किया तब आप (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) अकेले थे. फिर कुछ लोग आप की बात पर ईमान लाए 5...10...100...1000 इस तरह बढ़ते बढ़ते आज दुनिया के हर देश में मुस्लिम है. अगर कोई ऐसी धारणा रखता है की धर्म के अनुयायी ही सत्यता जांचने का तरीका है तो शायद वो अल्लाह के बारे में कुछ भी नहीं जानता. दुनिया के सारे इंसान अगर काफिर हो जाएँ (यानि इस्लाम का इन्कार कर दें) तो भी अल्लाह की शान में ज़रा भी फर्क नहीं पड़ेगा. और दुनिया के सारे इन्सान मुसलमान हो जाएँ तो भी अल्लाह की शान ऊंची ही रहेगी, अल्लाह को हमारी प्रशंसा, हमारी भक्ति की कोई ज़रुरत नहीं. अल्लाह हमे इस्लाम पर चलने के लिए इसलिए कहता है की हम सीधे मार्ग पर चलें और दुनिया और आखिरत(मौत के बाद) कामयाब रहें और उस जगह पोह्चें जहाँ रहने के लिए अल्लाह ने हमें बनाया था यानि स्वर्ग, जहाँ भेजने का उसने हर ईमान वाले से वादा किया है. अल्लाह हमें बनाने वाला और पालने वाला है, अल्लाह हो हमारी ज़रुरत नहीं बल्कि हमें अल्लाह की ज़रूरत है. " ऐ इंसानों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो (यानि अल्लाह पर निर्भर हो) और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है " कुरान 35:15 Admin 02
Posted on: Tue, 20 Aug 2013 20:11:43 +0000