आज देश की वर्तमान स्थिति को देख कर अजीब सा लग रहा है। देश की अर्थव्यवस्था में ुधार की कोई सम्भावना नहीं दिख रही। हमारे प्रधानमंत्री जी जिस जोश फरोश के साथ भाषण देते है उसे तो किसी भी समस्या का समाधान होते नहीं दिखता। उनके थाके भाषण को सुन कर लगता है की अब वो बहुत थक चुके है और अब उनके बस का कुछ नहीं है। 15 aug को भी उनका भाषण वैसा ही रहा। लोगो को उम्मीद थी की प्रधानमंत्रीजी का भाषण उमीदो का रोड मैप होगा पर यह बिदाई का रिपोर्ट कार्ड नजर आया। पर इस दिन की एक बात मुझे बहुत अच्छी लगी मोदी की मनमोहन को चुनैती और ऊपर से कांग्रेस के नेताओ का उस पर पलटवार ....अच्छा है । पर अगर इतनी गर्म जोशी के साथ देश की मौजूदा अव्यावस्था के बारे में सोचा जाये तो शायद कुछ हद तक उसका हल निकला जा सके। कुछ दिनों पहले तक सरकार अर्थव्यवस्था में हुई गिरावट के लिए वैश्विक हालत को जिमेदार बता रही थी पर आज जब उसमे सुधार है तो फिर हमारी अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ।इससे तो यही जाहिर होता है की या तो सरकार अपनी कमी को स्वीकारना नहीं चाहती या फिर उसे ऐसी स्थिति के सही कारणों का पता नहीं है। 15 aug को मनमोहन सिंह जी ने अपनी सरकार की जो भी उपलब्धी थी सब गिना दी पर अगर कमियों को भी गिना देते या चर्चा कर देते तो तो वह इनसे कई गुना ज्यादा निकलती।
Posted on: Mon, 19 Aug 2013 04:25:37 +0000
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