आज सुबह एक छोटा बालक साईकिल पर ढेर सारी झाड़ू लेकर बेचने निकला था। मैंने देखा कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू बेच रहा था और बच्चा समझकर लोग उससे उन दस रुपयों में भी मोलभाव करके, दस रुपए की तीन झाड़ू लेने पर आमादा थे मैंने भी उससे दो झाड़ू खरीद लीं, लेकिन जाते- जाते उसे सलाह दे डाली कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू कहने की बजाय 12 रुपए की दो झाड़ू कहकर बेचे.. और सिर्फ़ एक घंटे बाद जब मैं वापस वहाँ से गुज़रा तो उस बालक ने मुझे बुलाकर धन्यवाद दिया.. क्योंकि अब उसकी झाड़ू 10 रुपए में दो बड़े आराम से बिक रही थी…। =============== मित्रों, यह बात काल्पनिक नहीं है…। बल्कि मैं तो आपसे भी आग्रह करता हूँ कि दीपावली का समय है, सभी लोग खरीदारियों में जुटे हैं, ऐसे समय सड़क किनारे धंधा करने वाले इन छोटे- छोटे लोगों से मोलभाव न करें…। मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी जी के पाने, खील- बताशे, झाड़ू, रंगोली (सफ़ेद या रंगीन), रंगीन पन्नियाँ इत्यादि बेचने वालों से क्या मोलभाव करना?? जब हम टाटा-बिरला-अंबानी-भारती के किसी भी उत्पाद में मोलभाव नहीं करते (कर ही नहीं सकते), तो दीपावली के समय चार पैसे कमाने की उम्मीद में बैठे इन रेहड़ी-खोमचे-ठेले वालों से कठोर मोलभाव करना एक प्रकार का अन्याय ही है..
Posted on: Mon, 21 Oct 2013 00:42:48 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015