इशरतजहाँ व तीन अन्य का - TopicsExpress



          

इशरतजहाँ व तीन अन्य का एनकाउंटर। एक फर्जी मुठभेड़। सादिक जमाल का एनकाउंटर। एक फर्जी मुठभेड़। सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी का एनकाउंटर। एक फर्जी मुठभेड़। तुलसीराम प्रजापति का एनकाउंटर एक फर्जी मुठभेड़। मार्च 2002 में पूरे गुजरात में मुसलमानों का नरसंहार योजनाबद्ध। मानो कि गुजरात की मोदी सरकार में हुये सभी एनकाउंटर फर्जी और मुसलमानों का नरसंहार सम्पूर्ण तौर पर राज्य आयोजित आतंकवाद। इसके बावजूद इस मान्यता प्राप्त आतंकवादी नरेंद्र मोदी को भाजपा ने न केवल अपने चुनाव अभियान का प्रचार प्रमुख बनाया बल्कि मुसलमानों को रिझाने की जिम्मेदारी भी इसी को सौंपी गयी जिसके नुकीले दाँतों से आज भी मानव रक्त टपकता हुआ लगता है। मुसलमानों के सम्बंध में ‘विजन डॉक्यूमेन्ट‘ तैयार करने से अगर यह ‘मानव भेड़िया‘ यह समझता है कि मुसलमानों पर किये गये इस के अत्याचार से देश अनदेखी कर लेगा तो इसे उसकी खाम ख्याली के अलावा क्या कहा जा सकता है? । गुजरात में आग और खून का राजनीतिक खेल खेल कर राज्य से बाहर भाजपा का परचम लहराने की तैयारी में व्यस्त नरेंद्र मोदी प्रचार समिति की कमान मिलने के साथ ही अपना अभियान भी शुरू कर चुके हैं। लेकिन इशरतजहाँ एनकाउंटर मामले में सीबीआई का शिकँजा उनके गले तक पहुँचा ही चाहता है। सीबीआई इशरतजहाँ एनकाउंटर मामले में 4 जुलाई तक चार्जशीट दायर करने की तय्यारी कर चुकी है, जिसमें कई ऐसी बातें हैं, जो नरेंद्र मोदी की मुसीबतें बढ़ा सकती हैं। सीबीआई सूत्रों की मानें तो इसमें मोदी का नाम भी आ सकता है। साथ ही उनके दाहिने हाथ और पार्टी के महासचिव अमित शाह का भी इसमें फँसना तय माना जा रहा है। सीबीआई ने इस मामले में कुछ पुलिस वालों के बयान भी धारा 164 के तहत दर्ज किये हैं। बयान देने वाले पुलिस वालों का दावा है कि उन्होंने तत्कालीन डीआईजी डीजी वंजारा और आईबी के वर्तमान निदेशक (राज्य) राजेंद्र कुमार के बीच बातचीत सुनी थी। बयान में यह दावा किया गया कि वंजारा और राजेंद्र कुमार के बीच इशरतजहाँ एनकाउंटर को लेकर ही चर्चा हो रही थी। जिसमें कहा जा रहा था कि काली दाढ़ी (अमित शाह) और सफेद दाढ़ी (नरेन्द्र मोदी) से बात हो गयी है। इन लोगों ने इस काम के लिये अनुमति दे दी है। सीबीआई के पास फर्जी एनकाउंटर के आरोप को साबित करने के लिये दस्तावेजी सबूतों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी हैं। इसी के आधार पर आईबी स्पेशल निदेशक राजेंद्र कुमार और अमित शाह को महत्वपूर्ण साजिशकर्ता बताया जायेगा। इस मामले में जितने सबूत सीबीआई के पास हैं उससे यह साफ हो गया है कि राजेंद्र कुमार और अमित शाह ने इशरतजहाँ सहित चारों को फर्जी एनकाउंटर में मार गिराने की साजिश रची थी। राजेंद्र कुमार ने न केवल फर्जी अलर्ट दिलाया बल्कि इशरतजहाँ तथा अन्य तीनों को गुजरात पुलिस की हिरासत तक पहुँचाया। यही नहीं उन्होंने इन चारों को लश्कर – ए – तैयबा के आतंकवादी सिद्ध करने के लिये एके 47 राइफल भी उपलब्ध करवायी। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि वे चारों आतंकवादी थे और नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। जहाँ मोदी सरकार में हुये सभी एनकाउंटर्स के फर्जी होने के प्रमाण के रूप में सामने आ रहा है, वहीं इस मामले में मोदी की बौखलाहट भी देखने योग्य होती जा रही है। 15 जून 2004 को इशरतजहाँ और तीन अन्य लोगों को लश्कर का सदस्य घोषित कर एनकाउंटर में मार गिराने और पूरे देश से वाहवाही बटोरने वाले मोदी अब इसे विपक्ष यानी कि काँग्रेस की चाल बता रहे हैं, जबकि गुजरात सरकार के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सिंघल के माध्यम से एक ऐसी रिकॉर्डिंग भी सामने आयी है जो मोदी एण्ड कम्पनी को इस मामले में दोषी साबित करने के लिये पर्याप्त है। इसके अलावा इस मामले में जो नये तथ्य सामने आ रहे हैं उसके अनुसार मोदी व अमित शाह तथा अन्य को इशरतजहाँ के निर्दोष होने और उस के एनकाउंटर किये जाने की सम्पूर्ण सूचना थी और उनकी मंज़ूरी से इशरतजहाँ और तीन अन्य को मौत के घाट उतारा गया था। मानो इशरतजहाँ व अन्य का एनकाउंटर में मारा जाना एक सुनियोजित प्रक्रिया थी, जिसमें मोदी और उनके सहयोगी शामिल थे। इस खुलासे से यह उम्मीद अब बढ़ गयी है कि चार जुलाई को पेश की जाने वाली सीबीआई की चार्जशीट में नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह का नाम जरूर होगा. यानी कि इशरतजहाँ का खून न केवल पुकारने लगा है बल्कि अब सिर चढ़ कर बोलने भी लगा है। गोया कि पाप की हाण्डी अब बीच चौराहे पर फूट रही है। यह हमारे देश की परम्परागत विडम्बना रही है कि जब भी किसी राजनीतिज्ञ पर कानूनी शिकँजा तँग होने लगता है तो वह उसे राजनीतिक रूप से कैश करने के प्रयासों में लग जाता है। इशरतजहाँ मामले में भी यही हो रहा है। नरेंद्र मोदी उसे काँग्रेस की बदले की राजनीति करार दे रहे हैं। मोदी एण्ड कम्पनी की सोच यह है कि इस तरह से सीबीआई की जाँच के रुख को मोड़ा जा सकता है और उसके प्रभाव को अगर खत्म न सही पर कम जरूर किया जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि इशरतजहाँ मामले में सीबीआई के शिकँजा कसने के बाद इस तरह के आरोप सामने आये हैं, बल्कि न्यायाधीश तमांग और एसआईटी की जाँच के समय भी उसे काँग्रेस की बदले की राजनीति करार देने की कोशिश की जाती रही है। अब जबकि यह शिकँजा मोदी और अमित शाह के गले तक पहुँच रहा है तो इसमें मोदी को सीधे सीधे काँग्रेस का हाथ दिखने लगा है। शायद यही कारण है कि मोदी काँग्रेस पर यह आरोप लगा रहे हैं कि वे सरकारी संस्थाओं का अपने हित के तहत अवमूल्यन कर रही है। मोदी के मुताबिक काँग्रेस आईबी के मुकाबले सीबीआई को खड़ा कर रही है। सीबीआई का दुरुपयोग करके देश के ढांचे को नष्ट कर रही हैं। कुछ दिन पहले ही सीबीआई को ‘काँग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन‘ करार देते हुये नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया था कि सीबीआई अपने राजनीतिक आकाओं के कहने पर गुजरात के अधिकारियों और मन्त्रियों खिलाफ साजिश रच रही है। यह एक राजनीतिक रणनीति है जिसके उपयोग से यह माना जाता है कि जाँच को हाईजैक किया जा सकता है। लेकिन मोदी इस फासीवादी हथियार का उपयोग करते हुये शायद यह भूल रहे हैं कि सीबीआई को इस जाँच की जिम्मेदारी काँग्रेस ने नहीं बल्कि गुजरात उच्च न्यायालय ने सौंपी है। और सीबीआई सीधे उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार ही इसकी जाँच कर रही है। लेकिन इस का क्या किया जाये कि यही वो रणनीति है जिसके उपयोग से कई बार जाँच को हाईजैक भी किया जाता है और गलत दिशा में मोड़ा भी जाता है। वरना आखिर क्या कारण है कि जस्टिस तमांग की जाँच के बाद ही मोदी एण्ड कम्पनी पर उंगलियां उठ रही थीं, मगर उन पर हाथ डालना तो दूर इस मामले में दोषियों को सरकारी स्तर पर मदद करने की कोशिश भी की जाती रही है। नरेंद्र मोदी इस मामले में वंजारा और राजेंद्र कुमार सहित सभी दोषियों को बचाने की हरसम्भव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन सभी प्रयासों के विपरीत खून आखिर खून ही है, उसने अपना रंग दिखाना शुरू किया और अब खुद मोदी की गर्दन इस में फँसती हुयी नजर आने लगी है।06
Posted on: Fri, 05 Jul 2013 04:59:17 +0000

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