कमीना पन हर वक्त बरकरार रखता है, आदमी आज का बडा कलाकार लगता है।। चालाकियाँ बढी बढी रखता है जेब मेँ, करता जैसे कोई कारोबार लगता है।। झूठ बस झूठ सच का क्या करना है, जेब हो गर्म यहां तो किससे क्या डरना है।। बिकता है सब कुछ यहाँ वह यह जानता है, घूस का दौर है हर जगह वह यह जानता है।। टके भाव बिक जाती है, मजबुरियाँ ईँसान की, किताबोँ मेँ सब दफन है बातेँ ईमान की।। ज्ञान,ध्यान धर्म,कर्म सब स्वार्थ की वेदी पर, अपना हित सर्वोपरि हर बार रखता है।। आदमी आज का बडा कलाकार लगता है।। रमेश पंत 10।07।2013
Posted on: Wed, 10 Jul 2013 11:16:12 +0000
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