क्या वेदों में पुनर्जन्म - TopicsExpress



          

क्या वेदों में पुनर्जन्म का सिद्धांत विदित नहीं हैं? कुछ पाश्चात्य विद्वानों की यह धारणा रही हैं की वेद पुनर्जन्म के सिद्धांत का समर्थन नहीं करते हैं.इसका एक कारण तो वेदों के अर्थो को सूक्षमता से नहीं समझना हैं और दूसरा कारण मुख्यत: रूप से सभी पाश्चात्य विद्वान ईसाई मत के थे इसलिए पूर्वाग्रह से ग्रसित होने के कारण चूँकि ईसाई मत वेदों में वर्णित कर्म फल व्यस्था और पुनर्जन्म को नहीं मानता इसलिए वेदों में भी पुनर्जन्म के न होने का समर्थन करते रहे. आज इस्लाम मत से सम्बन्ध रखने वाले अपने प्रचार माध्यमों से यहीं जोर देने पर लगे हुए हैं की वेदों में पुनर्जन्म के सिद्धांत का समर्थन नहीं हैं. स्वामी दयानंद अपने प्रसिद्द ग्रन्थ ऋग्वेददि भाष्यभूमिका में पुनर्जन्म के वेदों से स्पष्ट प्रमाण देते हैं. वे इस प्रकार हैं १. हे सुखदायक परमेश्वर आप कृपा करे पुनर्जन्म में हमारे बीच में उत्तम नेत्र आदि सब इन्द्रिया स्थापित कीजिये – ऋग्वेद ८.१.२३.६ २. परमेश्वर कृपा करके सब जन्मों में हमको सब दुःख निवारण करने वाली पथ्य रूप स्वस्ति को देवे- ऋग्वेद ८.१.२३.७ ३. परमेश्वर सब बुरे कामों और सब दुखों से पुनर्जन्म में दूर रखे- यजुर्वेद ४.१५ ४. हे जगदीश्वर आपकी कृपा से पुनर्जन्म में मन आदि ग्यारह इन्द्रिया मुझे प्राप्त हो – अथर्ववेद ७.६.६७.१ ५. जो मनुष्य पुनर्जन्म में धर्म आचरण करता हैं उस धर्म आचरण के फल से अनेक उत्तम शरीरों को धारण करता हैं- अथर्ववेद ५.१.१.२ ६. जीव पाप- पुण्य के आधार पर अगले जन्म में मनुष्य या पशु आदि बनते हैं- यजुर्वेद १९.४७ ७.इसी प्रकार अथर्ववेद १०.८.२७-२८, ऋग्वेद १.२४.१-२, अथर्ववेद ११.८.३३ में भी पुनर्जन्म के सिद्धांत का प्रतिपादन हैं. इस प्रकार वेदों की विषय में पुनर्जन्म के विषय में अनेक प्रमाण होने से इस भ्रान्ति का भी निवारण हो जाता हैं.
Posted on: Sat, 14 Sep 2013 07:00:29 +0000

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