देखा है आज हमने लोगों को आज़माकर देते हैं लोग धोखा दिल के करीब आकर चोटें सहीं हैं हमने बर्बाद-ए-मोहब्बत के लो टूट गया पत्थर इक शीशे से टकराकर लगता है डर सा अब तो मुस्कान देख उनकी रखें हों उसने शायद खंज़र कहीं छिपाकर मालिक ! मेरे बता तू वो खो गया किधर है इक सांस ले सकूँ मैं जिसकी तलाश पाकर मेरे बीमार दिल की बस एक ही दवा है रुखसत वो मुझको कर दे,और देखे मुस्कुरा कर
Posted on: Sat, 24 Aug 2013 11:41:56 +0000
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