पहले एक आम आदमी मेहनत मजदूरी कर के अपनी रोज़ी रोटी आराम से कमा लेता था लेकिन ये पी डी एस सिस्टम , मनरेगा , मिड डे मील आदि समस्त योजनाओं आदि ने लोगो में सरकार पर आश्रित होने की मानसिकता को जगाया है--- जो लोग पहले खेत में मेहनत करके खुद अनाज पैदा करते थे उनको उनके पैदा किये गए अनाज की कीमत डिपुओं मैं बता दी गयी की भाई आप जिस अनाज के लिए आप इतनी मेहनत करते हैं हम आपको वो डिपुओं में न्यूनतम कीमत पर दे देंगे हिमाचल में ज्यादातर सबके पास भूमि है और जिनके पास नहीं है वो भी दूसरों के खेतों में मेहनत मजदूरी करके अपना घर बहुत ही आराम से चला रहे थे लेकिन इन समस्त योजनाओं ने आम आदमी को निठल्ला किया है----जो आदमी पहले एक स्वाभिमान के साथ जीता था वो अब झोला उठा के डीपू के बाहर अनाज के आने का इंतज़ार करता दिखता है पहले खुद जब आम आदमी मेहनत से अनाज पैदा करता था तो वो खालिस होता था और शारीरिक रूप से आदमी की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता था लेकिन अब जो अनाज डीपु में आता है वो कितना सेहत वर्धक होता है सब जानते हैं निसंदेह ये सब राजनेतिक टोटके हैं जिनका हर सरकार अपने हिसाब से नामकरण करती है और आज अगर भाजपा वाले इस चीज का विरोध कर रहे हैं की डिपुओं में झोलों पर अटल बिहारी बाजपाई का नाम हटा कर राजीव अन्न योजना क्यूँ कर दिया है तो भाई भाजपा वालो आप जब सत्ता में आयेंगे आप भी पुन नामकरण कर देना ,,, मंशा आपकी भी राजनेतिक है मंशा इनकी भी राजनेतिक है मैंने पहले भी विधायकों , मंत्रियों के वेतन वृद्धि बाबत पुछा था की भाजपा ने उस समय विरोध क्यूँ नहीं किया लेकिन इस प्रश्न पर भाजपा पूर्ण रूप से चुप है देहरा में किसी ने रविंदर रवि की सभा में ये प्रशन पूछ लिया तो उस शख्स को कुछ चमचा रुपी कार्यकर्ताओं ने चुप करवा दिया
Posted on: Fri, 20 Sep 2013 05:30:40 +0000
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