फिर एक प्रश्न यह हिंदी साहित्य की कमजोरी है या ताक़त जो लेखक की किसी किताब का एक संस्करण अधिकतम 500 से 1000 प्रतियों में छपती है । चाहे वह सभी हिंदी प्रदेशों तक पहुंचे या नहीं, चाहे वह सभी महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिकाओं तक पहुंचे या नहीं, चाहे वह सभी विद्वान आलोचकों तक पहुंचे या नहीं, पाठकों की तो बात ही छोड़िए, उसे करोड़ों की आबादी वाले देश में रातों रात समूची हिंदी का अनन्य लेखक घोषित कर दिया जाता है ?
Posted on: Fri, 25 Oct 2013 13:30:31 +0000
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