भैया, एक चालीस वर्ष के प्रौढ नेता से बच्चोँ की तरह स्वाभाव दिखाने की आशा नहीँ की जाती. कभी अपनी माँ के आंसू,तो कभी दादीमां और पिताजी की हत्या की कहानी सुनाकर, अपनी हत्या की संभावना जताकर जनता से सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास करते देखना अपने-आप मेँ बेहद निराशाजनक रहा. आपकी पार्टी के पास पिछले साढे नौ सालोँ से देश की सत्ता है.आप अपने लोकहितकारी कार्योँ से जनता के दिलोँ मेँ अपनी जगह बना सकते थे परन्तु आपने कहानी सुना कर वोट लेने का काम किया है.आपके परिवार के बारे मेँ पहले से हीँ ये देश बहुत कुछ जानता है फिर क्योँ बार-बार कहानी सुना कर जनता को पकाते हैँ ???
Posted on: Thu, 24 Oct 2013 08:31:23 +0000
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