युद्ध करने की बात जिन - TopicsExpress



          

युद्ध करने की बात जिन लोगों से युद्ध करने की बात कुरआन मे कही गर्इ हैं वह उनके गैर-मुस्लिम होने के कारण नही, बल्कि इस कारण कही गर्इ हैं। कि वे इस्लाम और उसके अनुयायियों पर घोर अत्याचार करते थें उन्हें खत्म करने के लिए साजिशे करते थे, मुसलमानो पर खुद बढ़-चढ़ कर हमले करते थे, और मुसलमानों को इस्लाम पर अमल करने से रोकते थे, धर्म ग्रहण करने के सम्बन्ध मे कुरआन इस मूल सिद्धान्त की घोषणा करता हैं: ‘‘धर्म के सम्बन्ध मे कोर्इ जबरदस्ती नही।’’ (कुरआन, 2 : 256) कुरआन मे एक अन्य जगह है: (ऐ पैगम्बर) अपने प्रभु की ओर से (लोगो के सामने) सत्य पेश कर दो। अब जो चाहे उसे माने और जो चाहे इन्कार करे।’’ (कुरआन, 18:29) कुरआन मे एक अन्य जगह कहा गया : ‘‘(ऐ पैगम्बर) तुम्हारे प्रभु की ओर से जो मार्गदर्शन तुम्हें दिया गया हैं। मुश्रिकों (बहुदेववादियों) से न उलझो-(याद रखो कि) अगर परमेश्वर चाहता तो वे शिर्क न कर सकते थे-और हमने तुम्हें इन (बहुदेववादियों) पर कोर्इ दारोगा नही बनाया हैं और न तुम उनपर कोर्इ वकील बनाए गए हों।’’ (कुरआन, 6 : 106-107) ‘‘हमने उसको (मनुष्य को) सत्यमार्ग दिखा दिया हैं। अब चाहे वह (उसपर चलकर) कृतज्ञ बने, चाहे (उसे छोड़कर) अकृतज्ञ।’’ (कुरआन 76 : 3) Admin 02
Posted on: Fri, 18 Oct 2013 18:49:09 +0000

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