शुभ संध्या मित्रों!! मुझे यह भली भांति ज्ञात था कि उच्च न्यायालय में पराजय के बाद सरकार सर्वोच्च अदालत न जाकर विजेताओं से सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास करेगी। क्योंकि सर्वोच्च अदालत में उसकी पराजय सुनिश्चित है। शैक्षिक मेरिट के लिये उसने बहुत प्रयास किया परन्तु असफलता प्राप्त हुयी। आज हम भूल गये हैं कि हमारे कितने साथी शहीद हो गये हैं , हम पर मुकदमा भी पंजीकृत है। सरकार उसे समाप्त करे। आज मै पुनः स्पष्ट करता हूँ कि ये राजनीति है। जिस दिन सही वक़्त आयेगा सबको जवाब दूंगा। आप लोग अपना वक़्त ना भूले वो अलग बात है कि हाथ दबने पर उसे आसानी से निकाला जाता है वरना टूट जाता है। ये अखिलेश बाबू ३१ जनवरी के पहले प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। आज लोगों को वोट देने की कसम खाते देखकर बड़ा दुःख हुआ कि हमारी हालत उस कुत्ते जैसी बना डाली गयी है जिसे दो डंडा मारा जाता है तो चिल्लाता हुआ भागता है एवं रोटी दिखाने पर पूंछ ऐठते हुये फिर पास चला आता है। गरीब ठीक है मगर गलीच नहीं है। धन्यवाद ज्ञापन उचित है पर परन्तु चापलूसी नहीं सही है। कल इलाहाबाद में यूपी टीईटी संघर्ष मोर्चा के ज्ञापन पर अखिलेश ने शीघ्र भर्ती का आश्वासन दिया और कुछ कदम आगे बढ़ने पर जब शैक्षिक मेरिट वालों ने पूंछा कि सर एस सी कब जा रहे हो तो मुंह फेर लिया। क्या ये वही अखिलेश हैं जो उनके लिये क्या नहीं कर डाले! ये राजनीति है इसमें कोई किसी का मित्र नहीं होता है , मैंने चुनाव नजदीक आते देख मायावती को सर्वोच्च अदालत से एसएलपी वापस लेते देखा है । अभी तो इन्होने दाखिल भी नहीं किया है। इनके कदम का प्रभाव चारो तरफ पड़ेगा क्योंकि मैंने हर चौराहे पर यह सुना कि ई त झूठइ बेचारेन के डाहे स आखिर उहई भा। यही सब है। धन्यवाद।
Posted on: Wed, 27 Nov 2013 14:09:02 +0000