सभी भारतीय देशभक्त - TopicsExpress



          

सभी भारतीय देशभक्त मित्रगण ध्यान दें | हैदराबाद के शिवकुमार अरी ने एक महत्वपूर्ण अनुसन्धान किया है कि रुपये के मूल्य डॉलर के अनुपात में गिर क्यों रहें हैं ? उन सभी विशुद्ध भारतप्रेमियों के लिए एक सलाह जो भारतीय रुपयों के गिरते मूल्य से चिंतित हैं : पूरे भारत में केवल सात दिनों के लिए कार का प्रयोग बंद कर दें | केवल आपातकालीन परिस्थिति में ही प्रयोग करें | फिर देखिये डॉलर कैसे औंधे मुंह गिरता है | यही सत्य है | डॉलर का मूल्य पेट्रोल से नियंत्रित होता है जिसे Derivative Trading (व्युत्पादित व्यापार) कहते हैं | अमेरिका ने सत्तर वर्ष पहले ही स्वर्ण से डॉलर का मूल्यांकन करना बंद कर दिया था | क्योंकि अमेरिका समझ चुका था कि पेट्रोल स्वर्ण के बराबर ही मूल्यवान है इसलिए उसने मध्य पूर्वी देशों के साथ समझौता किया कि वे पेट्रोल केवल डॉलर्स में ही बेचें | यही कारण है कि अमेरिकन डॉलर्स में “Legal Tenders for debt” लिखा होता है | जिसका अर्थ होता है यदि आप अमेरिकन डॉलर न लेना चाहें और आप भारत की तरह उसके बदले स्वर्ण लेना चाहें तो वे आपको नहीं देंगे | आप भारतीय रुपए पर देखिये कि लिखा होगा “I promise to pay the bearer...” और गवर्नर के हस्ताक्षर होंगे | जिसका अर्थ है कि आप यदि रुपये न लेना चाहें और उसके बदले केवल स्वर्ण लेना चाहें तो रिजर्व बैंक आपको स्वर्ण में भुगतान करेगा | (असल में मुद्रा विनिमय नियम में कुछ अंतर हो सकता है, लेकिन यहाँ केवल समझाने के लिए यह उदाहरण रखा गया है) आइये इसे एक उदहारण से समझते हैं: मान लीजिये कि भारतीय पेट्रोल मंत्री मध्य पूर्वी देश जाते हैं पेट्रोल खरीदने, वहाँ का व्यापारी कहता है कि एक लीटर पेट्रोल एक डॉलर का है लेकिन मंत्री जी के पास डॉलर नहीं है केवल रूपये हैं | तब क्या करेंगे मंत्री जी ? तब मंत्रीजी अमेरिका से कहेगा कि डॉलर दीजिये | अमेरिकन फेडरल रिज़र्व बैंक एक सफ़ेद कागज़ लेगा, उसमें डॉलर प्रिंट करेगा और भारतीय मंत्री को दे देगा | इस तरह हम डॉलर लेते हैं, पेट्रोल विक्रेता को देते हैं और पेट्रोल लेकर आते हैं | लेकिन यहाँ भी एक धोखाधड़ी है | यदि आप अपना विचार बदल लें और डॉलर को वापस लौटाना चाहें तो हम उसके बदले हम उनसे स्वर्ण नहीं माँग सकते | वे कहेंगे “क्या हमने बदले में कुछ वापस करने का वचन दिया था ? क्या आपने डॉलर को देखा नहीं नहीं ? हमने स्पष्ट शब्दों में लिखा है Dollar that is Debt.” तो अमेरिका को डॉलर प्रिंट करने के लिए स्वर्ण की आवश्यकता नहीं है | उन्हें केवल सफ़ेद कागज़ चाहिए डॉलर प्रिंट करने के लिए जैसा वे चाहें | लेकिन अमेरिका मध्य पूर्वी देशों को केवल डॉलर में पेट्रोल बेचने के लिए क्या देता है ? मध्य पूर्वी देशों के शासक अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका को किराया देते हैं | इसी तरह वे आज भी अपना कर्ज ही चुका रहें हैं जो उन्होंने अमेरिका से सड़क और बिल्डिंग अपने देश में बनवाने के लिए लिया था | यही है अमेरिकन डॉलर का मूल्य जो वे दे रहें हैं | यही कारण है कि कुछ लोग कहते हैं कि एक दिन डॉलर का नामोनिशान मिट जाएगा | भारत की वर्तमान समस्या का कारण है अमेरिकन डॉलर का क्रय | अमेरिकन सफ़ेद कागज़ भारतीय स्वर्ण के बराबर ही मूल्यवान है | इसलिए यदि हम पेट्रोल की खपत कम कर पायें तो डॉलर का मूल्य नीचे उतर आएगा | उपरोक्त लेख मूल तेलुगु से इंग्लिश में राधिका और हिंदी में विशुद्ध चैतन्य ने अनुवाद किया है | कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर करके सभी देशभक्त भारतीयों को जागृत करने का प्रयत्न करें"सभी भारतीय देशभक्त मित्रगण ध्यान दें |
Posted on: Fri, 06 Sep 2013 04:20:27 +0000

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