स्वामी दयानन्द द्वारा - TopicsExpress



          

स्वामी दयानन्द द्वारा रचित सत्यार्थपरकाश में समाज नाश की झलक --- पेज 101 पर लिखा है की महिला अगर गर्भवती है तो पुरुष उस महिला के साथ 1 वर्ष तक सम्भोग न करे , अगर न रहा जाये ? तो किसी विधवा स्त्री से नियोग सम्भोग कर लेवे और संतान उत्पत्ति कर लेवे {स्म्मुलास ४ पृष्ट 101 } स्वामी दयानन्द ने विधवा विवाह न करने का कारण बताया है पुन : विवाह करने से स्त्री का पतिव्रता धर्म नस्ट हो जायेगा पृष्ट 99 स्म्मुलास ४ में ही लिखा है विधवा स्त्री ग्यारह पुरुषों के साथ नियोग { सम्भोग } पशु तुल्य व्यवहार कर सकती है ! वहा रे दयानन्द क्या यह कुकर्म करने के बाद उस स्त्री का पति वर्ता धर्म सुरक्षित रहेगा ? सत्यार्थपरकाश के स्म्मुल्लास चार के पेज 100 पर लिखा है कि - अगर किसी महिला का पति विदेश में धन कमाने के लिए गया हो ! तो वह महिला तीन साल पति का इंतजार करे -- उसके बाद किसी दुसरे पुरुष के साथ : नियोग {सम्भोग } करके बच्चा पैदा कर ले ! अगर किसी कारण वश दुसरे पुरुष से गर्भ धारण न हो तो तीसरे आदमी से , और उस से भी न हो तो , चोथे -पांचवे -छ्टे अर्थात ग्यारहवें पुरुष से सम्बन्ध बना कर बच्चा उत्पन्न कर ले ! और दुसरे या ग्यारहवें पुरुष से प्राप्त हुई संतान उसके पति कि ही मानी जाएगी !! क्या ये सही है ? आप लोगों से मेरी अपील है सत्यार्थ परकाश को ध्यान से पडें और विचार करें क्या इससे समाज में अश्लीलता और चरित्र हीनता नही बड़ेगी ? क्या ये सब करने की शिक्षा अपने परिवार में दे सकते हैं ?
Posted on: Mon, 18 Nov 2013 06:56:50 +0000

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