हम प्यास बुझाते रहे, वे - TopicsExpress



          

हम प्यास बुझाते रहे, वे गोलियां बरसा गए >>>>>>> मेरठ: जिनकी दो दिनों से हम प्यास बुझाते रहे। थकने पर अपनी चारपाई और कुर्सियां देते रहे आज वे ही हम पर लाठियां भांज गए और गोलियां बरसा गए। ऐसे पुलिसवालों का क्या भरोसा..। यह दर्द खेड़ा गांव के बूढ़े-बुजुर्ग लोगों का है। गांव के एक बुजुर्ग ने कहा कि महापंचायत होने तक हमारे गांव के छोटे-छोटे बच्चों ने आए लोगों के साथ ही साथ तैनात पुलिसकर्मियों को भी पानी पिलाया और उनकी मदद की, लेकिन एकाएक ये सबकुछ भूलकर ऐसे लाठी भांजने लगे, मानों हम सरहद के उस पार के हों। गांव के ही रवींद्र ने कहा कि गत दो दिनों से यहां पुलिस के जवान और अ‌र्द्धसैनिक बल के जवानों की ड्यूटी है। हम इनके साथ मेल-मिलाप से थे। इनको हर तरह की मदद हम दे रहे थे, लेकिन बदले में जो मिला, वह आजीवन दर्द देता रहेगा। गांव के ही बलजोर ने कहा कि जो पुलिस और अफसर लाठियां भांज रहे थे और भंजवा रहे थे वे शायद यह भूल गए थे कि ये शहीदों की भूमि है और हर घर का लाल देश की सीमा की सुरक्षा में तैनात है। इनका यही कहना था कि सबकुछ ठीक ढंग से चल रहा था। हम अपनी बात कर रहे थे। शांतिपूर्ण ढंग से ज्ञापन देने गए थे। ज्ञापन ले लिया जाता तो कुछ भी न होता, लेकिन एकतरफा कार्रवाई करने वाली प्रदेश की पुलिस और अफसरों ने काफी देर तक तो कोई जवाब ही नहीं दिया, हमें लौटा दिया और फिर जवाब में लाठी और गोली बरसा दी। यह लोकतंत्र का हत्या नहीं तो और क्या है। (कुलदीप शर्मा)
Posted on: Mon, 30 Sep 2013 04:50:18 +0000

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