हुंकार से अहंकार टपकता है - नीतिश. हनुमान जी को अहंकार का हरण करने वाला देवता माना जाता है.अहंकार का स्वरुप था रावण जिसके लंका रुपी अहंकार को हनुमान जी ने जला कर ख़ाक कर दिया था.ये हुंकार शब्द का प्रयोग अक्सर उन्हीं हनुमान जी के लिए किया जाता है. बजरंग वाण में चौपाई आती है- कर हुंकार महाप्रभु धावो | बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो || तो क्या नीतिश जी इसको हनुमान जी का अहंकार कहेंगें ????? हुंकार और अहंकार को मिला कर घटिया तुकबंदी तो नीतिश कुमार ने की थी- हूं कहते हुए हुंकार का स्वर करना वास्तव में अहंकार को तिरोहित करता है. सुदर्शन क्रिया के अंतिम क्षणों में हूं की ध्वनि नाभि से उत्पन्न की जाती है.नाभि के समीप मणिपूर चक्र स्थित होता है.मणिपूर चक्र के दो प्रमुख गुण हैं- दया और क्षमाशीलता और अहंकार. हूं की ध्वनि जब नाभि से की जाती है तब इसका असर मणिपूर चक्र पर होता है और इससे अहंकार का विसर्जन व दैवीय गुणों का प्रस्फुरण जीवन में होता है. नाभि के मणिपूर चक्र के पूरी तरह खिले आकार को परिलक्षित करते हुए ही श्री कृष्ण को पदमनाभ भी कहा जाता है अर्थात जिसकी नाभि यानि मणिपुर चक्र कमल की भांति खिला हुआ है. यही कारण है कि मुस्लिमों में सूफी मत वाले लोग भी हू का उच्चारण किया करते हैं.
Posted on: Thu, 31 Oct 2013 03:12:00 +0000
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