18 पुरानों की रचनाएँ ब्यास जी द्वार की गयी लेकिन फिरभी ब्यास जी को बुद्धि स्तर पर शांति नहीं मिल पायी और अंत में ब्यास जी कहते हैं----- अट्ठारह पुरानों में मात्र दो बाते हैं जिनको तरह – तरह ढंग से ब्यक्त करनें की कोशिश की गयी है जो इस प्रकार हैं ---- परोपकार से बढ़ कर कोई पुण्य नहीं और किसी को दुःख पहुंचाने से बढ़ कर कोई पाप नही 18 पुरानों में से एक पुराण है गरुण पुराण इस पुराण को उस ब्यक्ति को सुनाया जाता है जो अपनें परिवार के किसी सदस्य का दाह - संस्कार किया हुआ हो और प्रारंभिक बारह दिनों के सूदक में संन्यासी की भांति जीवन जीते हुए अपने परिवार के मृतक के आत्मा की शांति के लिए कर्म – काण्ड के नियमों का पालन कर रहा हो....
Posted on: Thu, 08 Aug 2013 16:21:02 +0000
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