1947 में ही इन सब को - TopicsExpress



          

1947 में ही इन सब को पाकिस्थान क्यों नहीं भेजा ! उस एक इंसान की हठ आज पूरा देश भुगत रहा हे @admin - Ys दो हजार मुल्लो ने थामी इंडिया गेट की रफ्तार इन लोगों ने इंडिया गेट, आइटीओ चौक, बहादुरशाह जफर मार्ग, सुंदर नगर क्रासिंग आदि इलाकों में यातायात व्यवस्था चौपट कर दी। बाइकर्स के हंगामे में दफ्तर, सिनेमा हॉल और रेस्त्रां से लौट रहे लोग सड़कों पर कैद होकर रह गए। हुड़दंगी जाम में फंसी कारों के बोनट पर कूदने लगे। कारों के शीशे तोड़ दिए गए। विरोध करने पर लोगों से मारपीट की गई। कारों व बाइकों पर सवार युवतियों से छेड़छाड़ की गई। उनका खौफ इस कदर बढ़ा कि युवतियां व महिलाएं रोने लगीं। ऐसे हालात के आगे दिल्ली पुलिस भी बेबस दिखी। उत्पात मचाने से रोकने पर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया, जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। कई पुलिसकर्मियों की पिटाई भी कर दी गई। इंजीनियरिंग छात्र देवेश के अनुसार, सोमवार रात उन्होंने जो देखा, वह काफी खौफनाक था। दोस्त के साथ कनॉट प्लेस से कार में लौट रहे देवेश की कार अन्य गाड़ियों के साथ जाम में खड़ी थी। अचानक कुछ युवक उनकी कार के बोनट पर चढ़कर कूदने लगे। मारे डर के देवेश चुपचाप कार में बैठे रहे। साकेत मॉल से फिल्म देखकर लौट रही देवयानी व उनकी मां तो सड़कों पर बाइकर्स के तांड़व को देखकर रोने लगीं। मां-बेटी ने फोन कर परिजनों से मदद मांगी। देवयानी के अनुसार, बाइकर्स का समूह उनकी कार के आगे-पीछे बेहद खतरनाक स्टंट करने लगा। दुर्घटना के डर से उन्होंने सड़क किनारे कार रोक ली तो चारों तरफ से उनकी कार को घेरकर अश्लील इशारे किए जाने लगे। उन्होंने बताया कुछ दूरी पर पुलिस के जवान मौजूद थे, लेकिन वे असहाय बने हुए थे।
Posted on: Wed, 26 Jun 2013 03:09:01 +0000

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