आप चाहे तो Shakil Ahmed Khan की - TopicsExpress



          

आप चाहे तो Shakil Ahmed Khan की पोस्ट Khula aasmaa नामक ग्रुप में लिखी गई हैं उस पर मेरा कमेन्ट पढ़ सकते हैं. यह रही पोस्ट : - 'संतानोत्पत्ति के लिए सेक्स और आनंद की अनुभूति के लिए सेक्स यह दो आयाम हैं .पहला आयाम सभी प्राणियों के लिए है.जिसके लिए एक निश्चित समय निर्धारित होता है .लेकिन आनंद के लिए सेक्स सिर्फ मनुष्य करता है .उद्देश्य जब आनंद हो तो प्राक्रतिक या अप्राकृतिक के कोई मायने नहीं रह जाते हैं .फिर मेडिकल साइंस ने यह सिद्ध कर दिया है की समलैंगिकता स्वाभाविक है . Swami Balendu · कुछ धार्मिक टाइप (क्रिश्चियन, हिन्दू और इस्लाम तीनों धर्म) के मूर्ख कहते हैं कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है और हमारे देश के एक व्यापारिक सन्यासी बाबा तो कहते हैं कि समलैंगिकता एक बीमारी है और वो इसका इलाज भी करते हैं. अपनी स्वयं की बुद्धि को गिरवी रख चुके इन लोगों को कोई बताये कि वैज्ञानिक कहते हैं कि 8% मनुष्यों के DNA में समलैंगिकता के जींस होते हैं और उनके लिए समलैंगिक होना पूरी तरह प्राकृतिक है, उन्हें विपरीत लिंगी के प्रति कोई आकर्षण ही नहीं होता. हर संस्कृति और समाज में सदियों से समलैंगिक लोग भी रहे हैं और यह पूरी तरह स्वाभाविक और प्राकृतिक है. मनुष्य तो क्या जानवरों में भी समलैंगिकता पाई जाती है, जोकि मनुष्य की अपेक्षा प्रकृति के जादा करीब हैं. मैंने अभी वीकिपीडिया में पढ़ा कि 1500 प्रकार के जानवरों में समलैंगिकता को ऑब्जर्व किया है, जिनमें कबूतर, स्वान, पेंगुइन, हाथी, जिराफ, बन्दर, शेर, भेड़ और छिपकली इत्यादि में समलैंगिक प्रवृत्ति पाई गई है.' इस पर मेरा लिखा गया कमेन्ट भूपट शूट : - "समलेंगिकता को सभ्य नहीं कहा और समझा जा सकता. मनुष्य अगर सामजिक ही रहता तो कोई प्रशन हमारे सामने नहीं उठता मगर उसे सभ्य सामाजिक प्राणी कहा जाता हैं अतः समलेंगिकता वर्जित और लांछित हैं. मनुष्य ने सामाजिक प्राणी से सभ्य प्राणी बनने की एक लम्बी विकासयात्रा की हैं. ना तो उस विकासक्रम की यात्रा से सीधे ही लोटना जायज हैं और ना ही जरुरी !"
Posted on: Fri, 12 Jul 2013 17:15:41 +0000

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