कदम रुक गए जब पहुंचे हम - TopicsExpress



          

कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में... ✳ बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापार में.. ✳ कांपते होठों से मैंने पुछा, क्या भाव है भाई इन रिश्तों का? ✳ दूकानदार बोला: ✳ कौनसा लोगे..? ✳ बेटे का ..या बाप का..? ✳ बहिन का..या भाई का..? ✳ बोलो कौनसा चाहिए..? ✳ इंसानियत का.या प्रेम का..? ✳ माँ का..या विश्वास का..? ✳ बाबूजी कुछ तो बोलो कौनसा चाहिए.चुपचाप खड़े होकुछ बोलो तो सही... ✳ मैंने डर कर पुछ लिया दोस्त का..? ✳ दुकानदार नम आँखों से बोला: ✳ संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है..,माफ़ करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है.. इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे, ✳ और जिस दिन ये बिक जायेगा... उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा...
Posted on: Fri, 25 Oct 2013 10:14:38 +0000

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