चूना बनाने के लिए चूने के - TopicsExpress



          

चूना बनाने के लिए चूने के पत्थर को, जिसको लाइम स्टोन कहते हैं उसके टुकड़े कर, एक गड्ढे में डाला जाता था| इस पत्थर के ऊपर एक और भारी गोल पत्थर लगाया जाता था और बैल की सहायता से उसे पीसा जाता था| इसमें ऊपर से दूध डाला जाता था जिससे चूने में मजबूती आती थी| आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस समय में भारत में कितना दूध होता होगा जो पीने के बाद ऐसे उपयोग में लाया जाता था| 1850 में अंग्रेज़ों ने एक कानून बना कर चूना बनाना निषेध कर दिया! वे चूने के पत्थर को जहाज़ से ले जाते थे और इंग्लैंड से सीमेंट बना कर भारत में बेचते थे| धीरे धीरे चूने का चलन कम होता गया और सीमेंट आसानी से मिलने लगा जिसकी वजह से चूना बनाने वाले बर्बाद हो गए! सीमेंट के लिए चाहिए बिजली, बिजली के लिए पानी और कोयला, कोयले और पानी के लिए चाहिए प्रकृति से छेड़ छाड़ और प्रकृति से छेड़ छाड़ का नतीजा लाता है भूकंप और बाढ़! इतनी तबाही के बाद भी आपको जो मिलता है वो 5 साल ही चल पाता है! यह है पश्चिमी तकनीक| वहीं भारत का चूना धीरे-धीरे बनता है और मेहनत लगती है परंतु प्रकृति के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होता और कम से कम 250 वर्ष चलता है! तो बताइए कौन सा उत्पाद quality या high-tech है? जिस पत्थर से चूना बनता है, उसी से सीमेंट बनता है| अगर सीमेंट सचमुच हाई टेक उत्पाद होता तो हमारे ऋषि मुनि सीमेंट ही न बना लेते! क्यों उन्होंने चूना बनाने की तकनीक हमें दी?
Posted on: Sat, 20 Jul 2013 11:53:19 +0000

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