दोस्तो, उत्तराखंड में जनता त्राहि - त्राहि कर रही है किन्तु हमारी सरकारें कुम्भकर्णी नींद सो रही है | इस प्राकृतिक आपदा में फंसे लोग भूख और प्यास से दम तोड़ रहे हैं किन्तु हमारे देश का नेत्रित्व भाव शून्य है | मध्यप्रदेश, छतीशगढ और गुजरात जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं उन्होंने भरसक मदद की कोशिश की है किन्तु उत्तराखंड, राजस्थान एवं दिल्ली आदि सहित अन्य सभी कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें इस मानवीय चीत्कार से भावशून्य हैं | उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी और बिहार की जनता दल यूनाइटेड की सरकारों के चेहरे पर भी इस प्राकृतिक आपदा के कारण तड़प - तड़प कर मर रहे हिन्दुओं के कष्टों को लेकर दुःख की कोई रेखा दिखाई नहीं दे रही है | सेकुलरवाद की नाम पर मुसलमान वोटों को अपनी तरफ आकषित करने की राजनीति करने वाले सभी तथाकथित सेक्युलर नेता भी इस विपदा की घड़ी में हनीमून मनाने में व्यस्त हैं जबकि हाल ही में उत्तरप्रदेश में मरे डी.एस. पी. जियाउल हक़ तथा गुजरात में हुए एनकाउंटर आदि में प्रभावित पक्ष मुस्लिम होने पर ये लोग जार -जार यूँ रोते दिखाई देते हैं मानों ये अपने परिवार में हुयी मौत का मातम मना रहे हैं | क्या यह दृश्य समाज में एक ऐसी सीमा रेखा खींच रहा है कि - हमारे देश में हिन्दू, बहुसंख्यक होकर भी दोयम दर्जे के नागरिक हैं ....? जिनके कष्टों से हमारे देश के तथाकथित सेक्युलर नेताओं को कोई सहृदयता नहीं है | अतः हिन्दुओं के सामने अब केवल एक ही विकल्प है कि वे हिंदुत्व के नाम पर एक होकर ऐसी शक्तियों को सत्ता सौपें जो उनकी परवाह करे ........(अभय दीपराज)
Posted on: Sat, 22 Jun 2013 06:25:01 +0000
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