देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी है. महंगाई को बढ़ने से फिलहाल कोई नहीं रोक सकता. देश में चुनाव सिर पर है. गरीबों का ख्याल किया जा रहा है फूड सेक्योरिटी बिल लाया जा चुका है. देश में मुफ्तखोरी को बढ़ावा दिया जा रहा है. रोजगार नहीं भीख दी जा रही है. सरकार की नीति ऐसी है कि आम नागरिकों को जितना हो सके सुविधाभोगी और मुफ्तखोर बनाएं. यहां जनता इतनी भोली है कि वो सरकार से खर्च हिसाब तक नहीं मांग सकती. आमदनी से अधिक खर्च कर रही सरकार. खर्च बढ़ गया. हम कर्ज में डूब रहे हैं. हालात यह हो गया है कि अब देश को सोना गिरवी रखकर विदेशों से कर्ज लेने की नौबत आ गई है. देश के गद्दार नेता अब भी नहीं सुधरे तो वह दिन भी दूर नहीं है जब देश दोबारा 1947 के पूर्व वाली स्थिति में आ जाएं या फिर देश का नाश हो जाए. अब तो लड़ने का समय आ गया है खुद की कायरता से भी और देश के स्वार्थी नेताओं से भी.... हम सबको मिलकर कुछ तो करना होगा. अपने स्तर पर. अपने सामार्थनुसार.
Posted on: Wed, 28 Aug 2013 13:18:49 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015