पारिभाषिक - TopicsExpress



          

पारिभाषिक शब्दावली अ अनिश्चितता का सिद्धांत : हाइसनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत विज्ञान और गणित की उन समस्याओं में से एक है जो अज्ञेय हैं. क्वांटम भौतिकी का यह सिद्धांत कहता है कि हम किसी पार्टिकल की स्थिति और उसकी गति/दिशा को एक साथ नहीं जान सकते. इसके बारे में सोचने पर बहुत मानसिक उथलपुथल होती है. इसने ब्रह्माण्ड को देखने और समझने के हमारे नज़रिए में बड़ा फेरबदल कर दिया. अभी भी हमारे स्कूलों में परमाणु की संरचना को सौरमंडल जैसी व्यवस्था के रूप में दिखाया जाता है जिसमें केंद्र में नाभिक में प्रोटोन और न्यूट्रौन रहते हैं और बाहर इलेक्ट्रौन उपग्रहों की भांति उनकी परिक्रमा करते हैं. लेकिन परमाणु का ऐसा चित्रण भ्रामक है. नील्स बोर के ज़माने तक सभी लोग परमाणु के ऐसे ही भ्रामक चित्रण को सही मानते थे लेकिन वर्नर हाइसनबर्ग ने अपने अनिश्चितता के सिद्धांत से इसमें भारी उलटफेर कर दिया. वर्नर हाइसनबर्ग जर्मनी के सैद्धांतिक भौतिकविद थे और उन्होंने 1920 के दशक में नील्स बोर के साथ परमाणुओं और पार्टिकल्स की संरचना के क्षेत्र में साथ में बहुत काम किया था. अपने मौलिक चिंतन से हाइसनबर्ग ने कुछ नवीन निष्पत्तियां कीं. इस सिद्धांत को उन्होंने इस प्रकार बताया: यह पता कैसे चलेगा कि कोई पार्टिकल कहाँ है? उसे देखने के लिए हमें उसपर प्रकाश फेंकना पड़ेगा अर्थात हमें उसपर फ़ोटॉन डालने होंगे. जब फ़ोटॉन उस पार्टिकल से टकरायेंगे तब उस टक्कर के परिणामस्वरूप पार्टिकल की स्थिति परिवर्तित हो जायेगी. इस तरह हम उसकी स्तिथि को नहीं जान पाएंगे क्योंकि स्थिति को जानने के क्रम में हमने स्तिथि में परिवर्तन कर दिया. तकनीकी स्तर पर यह सिद्धांत कहता है कि हम पार्टिकल की स्तिथि और उसके संवेग को एक साथ नहीं जान सकते. यह पूरा तो नहीं पर कुछ-कुछ उस ‘ऑब्ज़र्वर’ इफेक्ट की भांति है जहाँ कुछ प्रयोग ऐसे होते हैं जिनमें परीक्षण का परिणाम प्रेक्षक (ऑब्ज़र्वर) की स्तिथि में बदलाव होने से बदल जाता है. इस प्रकार अणुओं और परमाणुओं की सौरमंडलीय व्यवस्था ध्वस्त हो गयी. अब इलेक्ट्रौन को पार्टिकल के रूप में नहीं बल्कि संभाव्यता प्रकार्य (प्रॉबेबिलिटी फंक्शन्स) के रूप में देखा जाता है. हम उनके कहीं होने की संभावना की गणना कर सकते हैं पर यह नहीं बता सकते कि वे कहाँ हैं. वे कहीं और भी हो सकते हैं. हाइसनबर्ग ने जब इस सिद्धांत की घोषणा की तब बहुत विवाद भी हुए. आइन्स्टीन ने अपना प्रसिद्द उद्धरण भी कहा, “ईश्वर पासे नहीं फेंकता”. और इसके साथ ही भौतिकी भी दो भागों में बाँट गयी. एक में तो विस्तार और विहंगमता का अध्ययन किया जाने लगा और दूसरी में अतिसूक्ष्म पदार्थ का. इन दोनों का एकीकरण अभी तक नहीं हो पाया है. आ आकार ग्रहण प्रक्रिया(Structure Formation): यह ब्रह्मांड निर्माण भौतिकी का एक मूलभूत अन सुलझा रहस्य है। ब्रह्मांड जैसा की हम ब्रह्मांडीय विकिरण(Cosmic Microvave Background Radiation) के अध्ययन से जानते है, एक अत्यंत घने , अत्यंत गर्म बिन्दु के महा विस्फोट से बना है। लेकिन आज की स्थिती में हर आकार के आकाशीय पिंड मौजूद है, ग्रह से लेकर आकाशगंगाओं से आकार से गैसो के बादल (Cluster) के दानवाकार तक के है। एक शुरूवाती दौर के समांगी ब्रह्मांड से आज का ब्रह्मांड कैसे बना ? इ इलेक्ट्रान – इलेक्ट्रान मूलभूत परमाण्विक कण है जिसका आवेश ऋणात्मक होता है। इसका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान का १/१८३६ होता है। ऊ ऊर्जा: किसी भौतिक प्रणाली की कार्य करने की क्षमता ऊर्जा कहलाती है। ऊर्जा अनेक रूप जैसे ऊष्मा, गतिज, विद्युत रूप मे रह सकती है। इसके मापन की SI इकाई जुल (J) या न्युटन प्रति मीटर (N*m) है। ए एक्सीआन(Axions): यह भी एक काल्पनिक मूलभूत कण है, इन पर कोई विद्युत आवेश नहीं होता है और इनका द्रव्यमान काफी कम १०-६ से १०-२ eV/c2 के बीच होना चाहिये। मजबूत चुंबकीय बलों की उपस्थिति में इन्हें फोटान में बदल जाना चाहिये। क काल अंतराल(Space-Time) : काल अंतराल वह स्थान है जहां हर भौतिकी घटना होती है : उदाहरण के लिये ग्रह का सूर्य की परिक्रमा एक विशेष प्रकार के काल अंतराल में होती है या किसी घूर्णन करते तारे से प्रकाश का उत्सर्जन किसी अन्य काल-अंतराल में होना समझा जा सकता है। काल-अंतराल के मूलभूत तत्व घटनायें (Events) है। किसी दिये गये काल-अंतराल में कोई घटना(Event), एक विशेष समय पर एक विशेष स्थिति है। इन घटनाओ के उदाहरण किसी तारे का विस्फोट या ड्रम वाद्ययंत्र पर किया गया कोई प्रहार है। क्वार्क : क्वार्क पदार्थ को बनाने वाले मूलभूत कण है। क्वार्क मिलकर हेड्रान बनाते है जिनमे प्रोटान और न्युट्रान प्रमुख है। क्वांटम एन्टेन्गलमेंट(Quantum Entanglement): एन्टेन्गलमेंट का शाब्दिक अर्थ होता है उलझाव, गुंथा होना। यह एक अजीब व्यव्हार है। इसके अंतर्गत जब दो परमाण्विक कण (इलेक्ट्रान, फोटान, क्वार्क, परमाणु अथवा अणु) एक दूसरे से भौतिक रूप से टकरा्ने के पश्चात अलग हो जाते है, वे एक एन्टेंगल्ड(अन्तःगुंथित) अवस्था मे आ जाते है। इन दोनो कणो की क्वां‍टम यांत्रिकी अवस्थायें समान होती है अर्थात उनका स्पिन,संवेग, ध्रुवीय अवस्था समान होती है। एन्टेंगल्ड अवस्था मे आने के बाद यदि एक कण की अवस्था मे परिवर्तन होने पर वह परिवर्तन दूसरे कण पर स्वयं हो जाता है, चाहे दोनो कणो के मध्य कितनी भी दूरी हो। सरल शब्दो मे एन्टेंगल्ड कण-युग्म के एक कण पर आप के द्वारा किया गया परिवर्तन दूसरे कण पर भी परिलक्षित होता है। ख खगोलीय इकाई(AU) : १ AU(खगोलीय इकाई)=१४९,५९७,८७०.७० किमी(पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी) ग गुरुत्विय वक्रता (gravitational lensing) :प्रकाश किरणों के में उस समय आई वक्रता होती है जब ये किसी गुरुत्विय लेंस से गुज़रती है। ये गुरुत्विय लेंस श्याम विवर या कोई भी अत्याधिक द्रव्यमान वाला पिंड जैसे तारा भी हो सकता है। ड डापलर प्रभाव: यह किसी तरंग(Wave) की तरंगदैधर्य(wavelength) और आवृत्ती(frequency) मे आया वह परिवर्तन है जिसे उस तरंग के श्रोत के पास आते या दूर जाते हुये निरीक्षक द्वारा महसूस किया जाता है। यह प्रभाव आप किसी आप अपने निकट पहुंचते वाहन की ध्वनी और दूर जाते वाहन की ध्वनी मे आ रहे परिवर्तनो से महसूस कर सकते है। न निहारिका (Nebula) : ब्रह्मांड में स्थित धूल और गैस के बादल। न्युट्रान : न्युट्रान आवेशहीन परमाण्विक कण है। यह परमाणु के केन्द्रक मे प्रोटान के साथ रहता है। न्युट्रीनो : न्युट्रीनो एक आवेशहीन मूलभूत कण है, यह प्रकाशगति के समान गति से यात्रा करता है। इसका द्रव्यमान कम लेकिन शुन्य से ज्यादा होता है। यह अन्य ज्ञात कणों से कोई क्रिया नही करता है। न्युटन का तीसरा नियम : किसी भी क्रिया की विपरित किंतु तुल्य प्रतिक्रिया होती है। प पदार्थ (matter): ऐसी कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो और उसका अपना द्रव्यमान हो पदार्थ कहलाती है। प्रतिपदार्थ (anti matter): पदार्थ का एक ऐसा प्रकार जो प्रतिकणो जैसे पाजीट्रान, प्रति-प्रोटान,प्रति-न्युट्रान से बना होता है। ये प्रति-प्रोटान और प्रति-न्युट्रान प्रति-क्वार्को से बने होते है। कण और प्रतिकण एक जैसे ही होते है लेकिन उनका विद्युत आवेश विपरीत होता है। कण और प्रतिकण आपस मे टकराकर एक दूसरे को विनष्ट करते हुये ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। ऋणात्मक पदार्थ(Negative Matter):पदार्थ का वह प्रकार जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव मे प्रतिकर्षित हो। यह सैद्धांतिक रूप से प्रस्तावित है लेकिन अभी तक इसे खोजा नही गया है। प्लैंक काल: मैक्स प्लैंक के नाम पर , ब्रह्मांड के इतिहास मे ० से लेकर १० -४३ (एक प्लैंक ईकाइ समय), जब सभी चारों मूलभूत बल(गुरुत्व बल, विद्युत चुंबकीय बल, कमजोर आणविक आकर्षण बल और मजबूत आणविक आकर्षण बल) एक संयुक्त थे और मूलभूत कणों का अस्तित्व नहीं था। प्रकाश वर्ष : प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गयी दूरी। लगभग ९,५००,०००,०००,००० किलो मीटर। अंतरिक्ष में दूरी मापने के लिये इस इकाई का प्रयोग किया जाता है। प्रणोद(Thrust) : किसी राकेट की शक्ति को प्रणोद(Thrust) कहते है। प्रणोद को मापने के लिए SI इकाई न्युटन (N) है प्रोटान : प्रोटान परमाण्विक कण है, जिसका आवेश धनात्मक होता है। यह परमाणु के केन्द्रक मे न्युट्रान के साथ रहता है। प्रतिकण : हर मूलभूत कण का समान द्रव्यमान किंतु विपरीत आवेश का कण होता है जिसे प्रतिकण कहते है। ब ब्रहृत एकीकृत सिद्धांत(Grand Unification Theory) : यह सिद्धांत अभी अपूर्ण है, इस सिद्धांत से अपेक्षा है कि यह सभी रहस्य को सुलझा कर ब्रह्मांड उत्पत्ति और उसके नियमों की एक सर्वमान्य गणितिय और भौतिकिय व्याख्या देगा। बायरान : प्रोटान और न्युट्रान को बायरान भी कहा जाता है। विस्तृत जानकारी पदार्थ के मूलभूत कण लेख में। ब्रह्मांडीय सिद्धांत (Cosmological Principle) : यह एक सिद्धांत नहीं एक मान्यता है। इसके अनुसार ब्रह्मांड समांगी(homogeneous) और सावर्तिक(isotrpic) है| एक बड़े पैमाने पर किसी भी जगह से निरीक्षण करने पर ब्रह्मांड हर दिशा में एक ही जैसा प्रतीत होता है। ब्रह्मांडीय सूक्ष्म तरंग विकिरण(cosmic microwave background radiation-CMB): यह ब्रह्मांड के उत्पत्ति के समय से लेकर आज तक सम्पूर्ण ब्रह्मांड मे फैला हुआ है। इस विकिरण को आज भी महसूस किया जा सकता है। म महा विस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण(Big Bang Ncleosynthesis) : हायड्रोजन(H1) को छोड़कर अन्य तत्वों के परमाणु केन्द्रक निर्माण की प्रक्रिया। माचो(अत्यंत विशाल सघन प्रकाशित पिंड)(MACHO: Massive compact halo object): ये उन पिंडों के लिये दिया गया नाम है जो श्याम पदार्थ की उपस्थिति को समझने में मदद कर सकते है। ये श्याम विवर (Black Hole) , न्युट्रान तारे, सफेद वामन तारे या लाल वामन तारे भी हो सकते है। मूलभूत बल :गुरुत्व बल, विद्युत चुंबकीय बल, कमजोर आणविक आकर्षण बल और मजबूत आणविक आकर्षण बल ल लाल विचलन(Red Shift): यह वह प्रक्रिया जिसमे किसी पिंड से उत्सर्जीत प्रकाश वर्णक्रम मे लाल रंग की ओर विचलीत होता है। वैज्ञानिक तौर से यह उत्सर्जीत प्रकाश किरण की तुलना मे निरिक्षित प्रकाश किरण के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी है। दूसरे शब्दो मे प्रकाश श्रोत से प्रकाश के पहुंचने तक प्रकाश किरणो के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी होती है व विम्प(WIMP:weakly interacting massive particles): अभी तक ये काल्पनिक कण है। ये कण कमजोर आणविक बल और गुरुत्वाकर्षण बल से ही प्रतिक्रिया करते है। इनका द्रव्यमान साधारण कणों(बायरान) की तुलना में काफी अधिक होता है। ये साधारण पदार्थ से प्रतिक्रिया नहीं करते जिससे इन्हें देखा और महसूस नहीं किया जा सकता। श श्याम पदार्थ (Dark Matter) : एक अदृश्य पदार्थ जो साधारण पदार्थ से क्रिया नही करता है लेकिन गुरुत्वाकर्षण से साधारण पदार्थ को प्रभावित करता है। श्याम ऊर्जा(dark energy): एक अज्ञात बल जो ब्रह्माण्ड के विस्तार के लिये उत्तरदायी है। श्याम ऊर्जा वह बल है जिससे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति तेज हो रही है। ज्यादा तकनीकी शब्दो मे श्याम ऊर्जा से ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति मे त्वरण आ रहा है। स साधारण पदार्थ(Byaronic Matter): मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है। इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है। सुपरनोवा- कुछ तारों के जीवन काल के अंत में जब उनके पास का सारा इंधन (हायड्रोजन) जला चुका होता है, उनमें एक विस्फोट होता है। यह विस्फोट उन्हें एक बेहद चमकदार तारे में बदल देता है जिसे सुपरनोवा या नोवा कहते है। ह हिग्स बोसान: स्टैंडर्ड माडेल किसी कण के विशिष्ट द्रव्यमान की व्याख्या नही कर पाता है। उदाहरण के लिये W कण और फोटान दोनो बल वाहक कण है लेकिन फोटान शून्य द्रव्यमान का और W कण भारी क्यों है ? भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार एक हिग्स क्षेत्र(Higs Field) का अस्तित्व होता है, जो सैधांतिक रूप से अन्य कणो के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हे द्रव्यमान देता है। इस हिग्स क्षेत्र के लिए एक कण चाहीये, जिसे हिग्स बोसान(Higs Bosan) कहते है। यह हिग्स बोसान अभी तक देखा नही गया है लेकिन भौतिक वैज्ञानिक इसकी खोज मे लगे हुये है। इस कण को ’ईश्वर कण(God Particle)’ भी कहते हैं।
Posted on: Mon, 05 Aug 2013 20:55:16 +0000

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