मुसलमानों का पैतरा जब वो किसी वक्तव्य में अपने क़ुरान को ऊचां न दिखा सकें 1.मैं अल्लाह से यही दुआ करूँगा कि तुझे सही राह दिखाए। 2.याद रखना क़यामत के दिन तू रोयेगा। 3.जब जिस्म से रूह खिचेगी तब अंदाज़ा लगेगा। 4.याद रखना जहनुम में हमेशा फसें रहोगे । 5.क़ुरान जैसी किताब न तो बनी थी न ही बनेगी इसमें शक कि कोई गुंजाइस नहीं। 6.अल्लाह पहले से ही जनता है कि तुझे जन्नत (७२ हूरों वाली) नसीब नहीं। 7.अल्लाह जिसे चाहता उसे रस्ते पे लाता और जिसे चाहता उसे भटकाता (ये शायद क़ुरान कि कोई आयत है)तू भटका हुआ सायद इसमें अल्लाह कि मर्ज़ी. और भी हैं। कई लोगों से मेरा वाद - विवाद हुआ जब वो नहीं पार पाये तो यही उनका आखरी जवाब रहा :P admin #kumar
Posted on: Fri, 22 Nov 2013 12:48:56 +0000
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