शीला जी की तरफ से पैगाम आया है कि उन्हें AAP से समर्थन लेने में कोई परहेज नही। चलिए दबे स्वरों में ही सही शीला जी ने AAP की अहमियत तो पहचानी। वैसे मेरा मानना है कि अगर AAP को समर्थन देने या लेने की जरुरत पड़े तो उसी पार्टी को चुने जो AAP की जनलोकपाल, राजनैतिक विकेंद्रीकरण, पुलिस एवं न्यायिक सुधार, राईट टू रिकॉल, पारदर्शी ट्रान्सफर पालिसी, सेवा गारंटी अधिकार जैसी नीतियों को सहर्ष स्वीकार करने को तैयार हो। फिर वो चाहे भाजपा हो या कांग्रेस। हालाँकि ये सारी नीतियां इन बेचारों के लिए सेल्फ डिस्ट्रक्टिव ही साबित होंगी। फिर भी मजबूरी में इन्हे स्वीकार करना पड़ सकता है।
Posted on: Thu, 28 Nov 2013 16:28:18 +0000
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