शेर (कता) बला का हुस्न - TopicsExpress



          

शेर (कता) बला का हुस्न गजब का शबाब निँद मेँ है ! है जिस्म जैसे गुलिस्ता गुलाब निँद मेँ है !! उसे जरासा भी पढलो तो शायरी आ जाये ; अभी गजल की मुकल्लम किदाब निँद मेँ है ! एक विवाह एसा भी ( MOVI SONG )
Posted on: Sun, 20 Oct 2013 06:00:08 +0000

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