आज का कवि एक असाधारण असामान्य युग में रह रहा है!वह एक ऐसे युग में है,जहाँ मानव-सभ्यता सम्बन्धी प्रशन महत्वपूर्ण हो उठे है! समाज भयानक रूप से विषमताग्रस्त हो गया है!चारों और नैतिक ह्रास के द्रश्य दिखायी दे रहे हैं! शोषण एंव उत्पीडन पहले सै बहुत बढ गया है! नोच-खचोट,अवसरवाद,भ्रष्टाचार का बाजार गर्म है! कल के मसीहा आज उत्पीडक हो उठे हैं! .,मुक्तिबोध1960
Posted on: Sat, 28 Sep 2013 02:29:50 +0000
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