ग्वाला दूध दुह चुका था और - TopicsExpress



          

ग्वाला दूध दुह चुका था और अब थन को, बूंद- बूंद निचोड़ रहा था. उधर खूंटे से बंधा बछड़ा भूख से बिलबिला रहा था. इसे देखकर ममता ममताई गाय कुछ कसमसाई. उसकी ममता उभर आयी. उसने अपना एक पैर उठाया, ग्वाले ने पीठ पर डंडा चलाया. भूखे बछड़े की आँखों में तब गर्म खून उतर आया. फिर संवेदनशील गाय ने ही उसे समझाया, बेटा! अब दूध की आस छोड़, तू चारे से अपनी भूख मिटा. यह मानव तो बहुत भूखा है.. दूध और अन्न की कौन कहे कभी-कभी, बालू- सीमेंट- सरिया- पुल और सड़क भी पचा जाता है. फिर भी इसकी भूख नहीं मिटती, पेट नहीं भरता. मुझे तो बुढापे तक सहनी है इसकी पिटाई. जब हो जाउंगी अशक्त, ले जाएगा मुझे कोई कसाई. फिर भी भूल जाती सबकुछ , जब यह पुचकारता है मुझे कहता है -माँऔरमाई.
Posted on: Sat, 19 Oct 2013 05:30:00 +0000

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