जब एक मंदिर का निर्माण - TopicsExpress



          

जब एक मंदिर का निर्माण होता है तो नींव खोदने के लिए दलित, ईंट-गारे का काम करने के लिए दलित, मंदिर की चोटी-कलश के लिए ठठेर, मूर्तियों को तराशने के लिए दलित-मुसलमान की आवश्यकता पड़ी. दरवाजा बनाया बढ़ई ने, कुण्डी लगाई लोहार ने, स्नान कराने के लिए गंगाजल दिया मल्लाह व कहार ने, पत्तल लगाया वारी ने, पूजा के फूल दिए माली ने, पूजा में साथ दिया नाई ने, दूध दिया अहीर ने, प्रसाद के लिए अन्न उपजाया किसान ने, मूर्तियों के वस्त्र सिले दर्जी ने, गहने गढ़े सुनार ने... लेकिन जब से प्राण-प्रतिष्ठा हुई, माल खाया ब्राह्मण ने. ब्राह्मण मंदिर के अंदर और बाकी सभी मेहनतकश कौमे मंदिर के बाहर. आख़िर यह कैसा हिंदुत्व है? चाहे मैं रहूं या न रहूं, मैने इंसाफ़ दिलाना चाहा था. अब रास्ता खुल गया है और आप इस रास्ते पर चल चुके हैं. अब कोई ताक़त दलितों और पिछड़ों को उनके अधिकार से वंचित नहीं कर सकती. Admin - 10
Posted on: Mon, 22 Jul 2013 17:58:14 +0000

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