#झर-झर-झर आकाश! मेघ झर - TopicsExpress



          

#झर-झर-झर आकाश! मेघ झर रहे सब खिड़की-दरवाजे जैसे बजते बाजे दौड़ा जाता जल झर-झर-झर कलकल क्या छूटा क्या साथ। हवा। हिले कुछ तार बनते मिटते से, ये कितने आकार बूँदें छू दें आएँ चादर-सी लहराएँ पलकों में जो बंद, खोलें, फिर पा जाएँ सब कुछ इतने पास झर-झर-झर आकाश।
Posted on: Wed, 19 Jun 2013 08:15:57 +0000

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