"दे दी तूने आजादी, बिना खड़ग बिना ढाल साबरमती के सँत तूने कर दिया कमाल"... . नश्तर की तरह चुभती है ये पंक्तियाँ मुझको...!!! .. कैसे बयाँ करु उन शहीदोँ का दर्द तुझको... कितना दर्द सहा लाला लाजपत रायजी ने... फिर भी निकली हर लाठी की चोट से... भारत माता की जय उनके मुँह से... कैसे भूल जाये हम भगतसिह सुखदेव और राजगुरु की वो शहादत... तू कुछ न कर सका उस वक्त सिर्फ करता रहा इबादत... भुलाये नही भूलती चन्द्रशेखर आजाद की वो पिस्तौल की गोली... डरती थी अंग्रेजी हुकुमत जिन पर चलाने से गोली... खून के छीटे पड़े थे चाचाजी के दामन पर भी लेकिन कर लिया साफ उसको अंग्रेजोँ की सफेदी मे धोकर नेताजी को हरदम याद करेगा भारत कैसे दफना दिया उनकी जिन्दा साँसोँ को तुमने बन गये आजादी के बाद राष्ट्रपिता तुम दे दिया उनको देश उपहार मे तुमने.. कितना खून बहा था इस लड़ाई मे कितनो ने दर्द सहा था लड़ाई मे क्या सिर्फ तुम्हारी लाठी ने दिला दी आजादी हमे क्या सच मे अहिसा से मिल गई आजादी हमे माना तुमने भी संघर्ष किया है लेकिन क्या इन शहीदोँ ने कुछ नही किया है आज सिर्फ तेरा नाम छाया है हर किताब के पन्ने पर देशभक्तोँ का नाम रह गया सिर्फ इतिहास के पन्ने पर
Posted on: Tue, 16 Jul 2013 23:17:26 +0000
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