मान्यवर कांशीराम और बहनजी में अंतर ....... सन 1965 में ई.आर.डी.एल. की नौकरी से त्यागपत्र देकर मान्यवर कांशीराम जी ने अपनी माता जी को 24 पेज का एक संकल्प पत्र लिखा था, जिसमे उन्होंने निम्नांकित पांच संकल्प व्यक्त किये थे - 1 -मै शादी कभी नहीं करूँगा शादी के जंजाल में फंसने के बाद मै अपने समाज के दबे कुचले लोगो और अपने देश के लिए कुछ नहीं कर पाउँगा। 2-मै घर कभी नहीं जाऊंगा,मैंने घर वालों से अपने सारे रिश्ते समाप्त कर दिए है अब पूरा भारत ही मेरा घर होगा भारत का दलित शोषित समाज ही मेरा परिवार होगा। 3 -मै अपने लिए कभी कोई संपत्ति नहीं बनाऊंगा और मै दबे कुचले लोगो के लिए काम करूँगा वे ही मेरी संपत्ति होंगे मेरी संपत्ति भी उनके लिए ही होगी। 4-मै किसी भी सामाजिक समारोह, जन्मोत्सव, विवाहोत्सव, मृत्यु आदि में सम्मिलित नहीं होऊंगा। 5 -मै आगे कोई नौकरी नहीं करूँगा मैंने नौकरी छोड़ दी है,मै कोई भी पारिवारिक दायित्व नहीं निभाऊंगा अब मैंने पूरे समाज का दायित्व संभाल लिया है।।।। यदि कोई आस्तिक ईश्वर को जानता होगा तो भारत के दलित कांशीराम जी को अवश्य जानेंगे कांशीराम जी के पास एक भी गज जमीन, एक भी कमरा और एक भी पैसे का बैंक बैलेंस नहीं था | उसके बाद वह कभी भी अपने परिवार में नहीं गए उनके परिवार के एक भी सदस्य ने ने उनसे कभी एक भी पैसे का लाभ नही उठाया और ना ही कभी लाभ उठाने की इच्छा ही व्यक्त की।
Posted on: Wed, 14 Aug 2013 14:15:08 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015