सरदार पटेल की परछाई भी - TopicsExpress



          

सरदार पटेल की परछाई भी नहीं छू पाएंगे नरेंद्र मोदी दुनिया भर में राजनीति आमतौर पर सतही मुद्दों पर थिरकती रहती है। मगर सरदार पटेल के बहाने इन दिनों जिस प्रकार ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गया है, वह खुशगवार है। इसी बहाने आजाद भारत के पहले गृहमंत्री के योगदानों और अवदानों पर बहस छिड़ गई है। मगर बहस लंबी चली तो भारतीय जनता पार्टी को शर्मसार होना पड़ सकता है। क्योंकि पटेल न तो कट्टर हिंदूवादी थे, न अल्पसंख्यक विरोधी और न ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जहरीले विचारों व अखंड हिंदू राष्ट्र के यूटोपिया के समर्थक। इसलिए सरदार पटेल के 1917 से 1950 तक (मृत्युपर्यंत) कांग्रेसी जीवन का अध्ययन करें तो उनका आचार-विचार, उनकी क्रियाशीलता और उनका उदार व्यक्तित्व इतना भव्य दिखता है कि अगर नरेंद्र मोदी जैसा तंग, तुच्छ और दंभी चरित्र वाला व्यक्ति उनका वारिस बनने का प्रयत्न करे तो सरदार का पूरा व्यक्तित्व खारिज करना पड़ेगा। सरदार आरएसएस के कट्टर विरोधी थे। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय उनका था।जिस आरएसएस के बारे में सरदार इतनी नफरत से सोचते थे, उसी के स्वयंसेवक और प्रचारक रहे हैं नरेंद्र मोदी।अगर सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन जाते तो आज आरएसएस और बीजेपी अस्तित्वहीन होते क्योंकि पटेल का कड़क मिजाज और विभाजित भारत को अखंड रखने का उनका संकल्प अगर कश्मीर के कैंसर को ठीक कर सकता था तो संघ जैसी विभाजनकारी व सांप्रदायिक शक्तियों को भी वे नेस्तनाबूद करके रहते। सरदार सरोवर के जनक, अमूल के संस्थापक और सोमनाथ के जीर्णोद्धारक सरदार पटेल के डीएनए में कांग्रेस थी। कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना करने वाले नरेंद्र मोदी उन्हें अपने रगों में उतारने का दावा जितना करेंगे, उतना ही ढोंग लगेगा। navbharattimes.indiatimes/thoughts-platform/viewpoint/articleshow/25387843.cms
Posted on: Fri, 15 Nov 2013 23:03:52 +0000

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