Maa (Mother) माँ एक रिश्ता जो ना हे सिमित कोई व्याख्या से ना ही है संभव उसे शब्दों से करना समर्थित नीले अम्बर सा विशाल आँचल हमेशा देता हैं छाओं का एहसास ; चाहे हो जिंदगी की तड़पती धुप या हो गरजती उलझनों की बारिश निश्चल, निस्वार्थ अटूट प्यार का हमेशा उसका साथ परबत की चोटी की तरह अड़ग रहकर दीलाती हैं सपनो पे विश्वास देती रहती है प्रोत्साहन उपेक्षा को वास्तविकतामें बदलनेका अगर समर्थ ना हुए वोह ख्वाब ; तो धीरे से पोछ आंसू दीलाती हैं श्रम और कर्त्तव्य पे विश्वास व्यर्थ से अर्थ की राह का बनकर एक चिराग चाहे हो कठीण मकाम हो या हो कोई तूफानी मजधार ; बनकर साहिल बढाती हैं हौसला देती है सैलाब से सामना करने का धैर्य सययम निस्वार्थ प्यार का वोह पूनम का चाँद ना कभी रहने देता हैं जिंदगी में अमावस का स्थान प्रेम से सीचे इस पौधे पे हमेशा सजी रहे बहार पतझड़ के वक़्त नए अंकुरका हमेशा देती हैं आभास माँ जहा भी देखू वहा कही ना कही तेरे होने का होता हैं एहसास जैसे इश्वर भी चाहता हो देखू तेरी झलक कुदरत के हर इशारे में
Posted on: Thu, 12 Sep 2013 01:11:05 +0000
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