डॉ. गैरी मिलर लगातार कुरआन का अध्ययन करते रहे इस सोच के साथ कि इसमें उन्हें जरूर कमियां और दोष पकड़ में आएंगे लेकिन कुरआन का अध्याय अल निशा की 82 आयत पढ़कर वे आश्चर्यचकितरह गए, इस अध्याय में हैं- क्या वे कुरआन में गौर और फिक्र नहीं करते। अगर यह अल्लाह के अलावा किसी और की तरफ से होती तो वे इसमेंनिश्चय ही बेमेल बातें और विरोधाभास पाते। कुरआन की इस आयत के बारे में डॉ. गैरी मिलर कहते हैं, साइंस का एक जाना पहचाना सिद्धांत है जो आपको गलतियां और कमियां निकालने का अधिकारदेता है जब तक कि यह सही साबित नाहोजाए। इसे फालसिफिकेशन टेस्ट कहते हैं। डॉ. मिलर कहते हैं, ताज्जुब की बात है कि कुरआन खुद मुसलमानों और गैर मुसलमानों से इस किताब में कमियां निकालने की कोशिश करने को कहता है और दावा करता है कि वे इसमें कभी कोई कमी नहीं तलाश पाएंगे। ऐडमिन 12
Posted on: Sat, 31 Aug 2013 03:52:45 +0000
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