सचिन एक अच्छा खिलाडी - TopicsExpress



          

सचिन एक अच्छा खिलाडी रिटायर हो गया। दीवानगी अच्छी चीज है पर इतनी भी ठीक नहीं। जहाँ देखो सचिन सचिन हल्ला मचा है। क्या फेसबुक क्या टीवी सब जगह सचिन का ही शोर है। अरे भाई एक खिलाडी रिटायर हुआ है कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ। और शायद 100 सैनिक शहीद भी हो जाते तो मीडिया या लोग इतना हो हल्ला नहीं मचाते। जब मिल्खा सिंह बैचुंग भूटिया या धनराज पिल्लै रिटायर हुए थे तब तो इतना हल्ला नहीं मचा था। क्या उन्होंने हमारा देश का नाम रौशन नहीं किया था क्या वो महान खिलाडी नहीं थे? और आगे भी देखूंगा जब सायना नेहवाल या M.C मैरीकॉम रिटायर होगी तो ये हाय तौबा मचता है या नहीं। कोई खेल छोटा या बड़ा नहीं है, सभी खेल बराबर है। अगर भारत हॉकी का वर्ल्ड कप जीतता है तब भी देश का उतना ही नाम रौशन होता है जितना क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने पे। जब अभिनव बिंद्रा पदक पे निशाना लगते है तब भी देश का सर भी उतना ही उच्चा होता है जितना सचिन के शतक लगाने पे फिर क्रिकेट या सचिन को इतनी तबज्जो क्यों? अगर क्रिकेट ही इस देश में सबसे बड़ा खेल है तो जब हम ओलंपिक में एक या दो पदक जीतते है तो कोई सिकवा शिकायत नहीं होनी चाहिए। एक बात और अगर सचिन ना भी होता तो कौन सा हमारा देश भूखा मर जाता। मैं भी सचिन का नाम सुनते बड़ा हुआ हूँ और एक भारतीय होने के नाते मेरे दिल में भी सचिन के लिए उतना ही इज्ज़त है जितना किसी और के दिल में सचिन के प्रति है। कुछ लोग कह रहें थे पारी घोषित कर दो, क्यों भाई ? ताकि सचिन दुबारा खेल सके। कुछ लोग गाली दे रहे हैं धोनी को, क्यों भाई? क्योंकि धोनी सचिन से बॉलिंग नहीं करा रहा। अरे भाई देश बड़ा होता है खिलाडी नहीं। सचिन सम्मान का हक़दार है और उससे मिलना भी चाहिए। पर इसका मतलब ये नहीं की सब कुछ भूलकर बस सचिन-सचिन करें। सचिन के 664 मैच खेलने या 34,000 रन बनाने से उस गरीब बच्चे का पेट नहीं भर जाएगा जिसका बाप पूरे दिन मजदूरी करके या ठेला खीच कर अपने बच्चे के लिए दो जून की रोटी जुटता है। ये सर सचिन के पहाड़ जैसे रिकॉर्ड के आगे नहीं अपने खून पसीने से बच्चो के पेट भरने वाला पिता के आगे झुकता है। यही झूट-मुठ का हाय तौबा और ग्लैमर के पीछे दीवना होने के प्रवृति हमे अपने मूल उदेश्य से भटकाती है। मैं इस समय किसी की आलोचना करके या कुछ हट के लिख कर नाम नहीं कमाना चाहता। बस रहा नहीं गया सो लिख दिया। हो सकता है सचिन के कुछ अंधे प्रसंशको को मेरी ये बात बुरी लगे। धन्यावाद वरुण कुमार
Posted on: Sat, 16 Nov 2013 09:38:40 +0000

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