आँखों देखी सत्य घटना :- कल - TopicsExpress



          

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आँखों देखी सत्य घटना :- कल मैं पुणे जाने वाली एक ट्रेन में स्लीपर कोच में बैठा हुआ था कि एक स्टेशन से एक 18-19 वर्षीय खूबसूरत लड़की चढ़ी जिसका मेरे सामने वाली बर्थ पर रिजर्वेशन था.. उसके पापा उसे छोड़ने आये थे । "डैडी आप जाइये अब, ट्रेन तो दस मिनट खड़ी रहेगी यहाँ दस मिनट का स्टॉपेज है ।" उसने पिता से कहा । "कोई बात नहीं बेटा, 10 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा, अब पता नहीं कब आएगी तू ।" पिता ने जवाब दिया । लड़की शायद पुणे में अध्ययन कर रही होगी क्योंकि उम्र और वेशभूषा से विवाहित नहीं लग रही थी । ट्रेन चलने लगी तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता को हाथ हिलाकर बाय कहा । "बाय डैडी.... अरे ये क्या हुआ आपको ! अरे नहीं .. प्लीज ।" पिता की आँखों में आंसू थे । ट्रेन अपनी रफ्तार पकडती जा रही थी और पिता रुमाल से आंसू पोंछते हुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे । लड़की ने फोन लगाया.. "हेलो मम्मी.. ये क्या है यार! जैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई डैडी तो रोने लग गये.. अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको सी-ऑफ के लिए नहीं कहूँगी.. भले अकेली आ जाउंगी ऑटो से.. अच्छा बाय.. पहुँचते ही कॉल करुँगी.. डैडी का खयाल रखना ओके ।" मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ इस आशा से देखता रहा कि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों से मुझे अश्रुधारा दिख जाए पर मुझे निराशा ही हाथ लगी.. उन आँखों में नमी भी ना थी । कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसी को फोन लगाया- "हेलो जानू कैसे हो.... मैं ट्रेन में बैठ गई हूँ.. हाँ अभी चली है यहाँ से.. कल अर्ली-मोर्निंग पूना पहुँच जाउंगी.. लेने आ जाना.. लव यू टू यार, मैंने भी बहुत मिस किया तुम्हे.. बस कुछ घंटे और सब्र कर लो कल तो पहुँच ही जाऊँगी ।" . . . . मैं मानता हूँ कि आज के युग में बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु बाहर भेजना आवश्यक है पर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि इसके कई दुष्परिणाम भी हैं । मैं यह नहीं कह रहा कि बाहर पढने वाले हर लड़के लड़कियां ऐंसे होते हैं । मैं सिर्फ उनकी बात कर रहा हूँ जो पाश्चात्य संस्कृति की इस हवा में अपने कदम बहकने से नहीं रोक पाए । आजकल तो भारतीय शहरों में लिव इन रिलेशनशिप भी आम बात हो गई है । लड़के लडकियाँ मजे से जोड़े बनाकर रह रहे हैं.. लोकलाज और जिम्मेदारी के अहसास से दूर.. शादी विवाह की झंझटों से परे ! मकसद सिर्फ आनंद लेना और कुछ नहीं !! . . आप लोगों की प्रतिक्रियाएं और विचार आमंत्रित हैं ।
Posted on: Mon, 29 Jul 2013 12:53:07 +0000

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