इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद और इसाई धर्म के प्रवर्तक जीसस के जन्मदिनों पर केंद्र सरकार की छुट्टियाँ हैं, लेकिन हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम और भगवान कृष्ण के जन्म दिनों की छुट्टियाँ नहीं हैं। हज यात्रियों को हज यात्रा के लिए अनुदान दिया जाता रहा है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बंद करने का आदेश दिया है। सरकारी खर्चे से हज हाउस बनाए जाते हैं और ये सब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर किये जाते हैं। हिन्दुओं को किसी तीर्थयात्रा के लिए न तो अनुदान दिया जाता है और न ही हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए सरकारी खर्चे से भवन बनाये जाते हैं क्योंकि ऐसा करना धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है। जबकि सरकार को हिन्दू तीर्थयात्रियों से ही राजस्व प्राप्त होता है। देश के प्रमुख मंदिरों का नियंत्रण ट्रस्टों के माध्यम से सरकार के हाथों में है। मंदिरों के चढ़ावे का बड़ा हिस्सा राज्य सरकारों के पास चला जाता है और सरकार उन पैसों का विनियोग अन्य धर्मियों के धर्मस्थलों के विकास एवं रख रखाव पर खर्च किये जाते हैं। और तो और इन धर्मों का रवैया हिन्दू विरोधी रहता है, ये हिन्दू धर्म को नष्ट करने पर लगे रहते हैं। ये कैसी धर्मनिरपेक्षता है जिसमें हिन्दूओं के पैसे हिन्दू धर्म को नष्ट करने के काम में लगाया जाता है?
Posted on: Sat, 29 Jun 2013 06:13:15 +0000
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