ई कामर्स फंडा खुदरा - TopicsExpress



          

ई कामर्स फंडा खुदरा कारोबार में अबाध विदेशी पूंजी का वोट बैंक से धोखाधड़ी का नायाब नूस्खा पलाश विश्वास ambedkaractions.blogspot.in/2014/07/blog-post_15.html Indias FDI policy permits FDI up to 100% in e-commerce activities, but this is dependent on a very crucial stipulation– the policy applies only to companies engaged in B2B e-commerce, and not to those in retail trading.5 It is at this point that classification of online retail businesses into B2B and B2C e-retail becomes significant. In B2B e-retail, trading is between business entities such as manufacturers and wholesalers or between wholesalers and retailers. India permits 100% FDI in B2B e-commerce under the automatic route.6 In B2C e-retail, online businesses sell directly to the consumers. The FDI policy provides that retail trading, in any form, by means of e-commerce, would not be permissible for companies with FDI and engaged in the activity of single brand retail trading or multi-brand retail trading. Therefore, it is clear that the extant FDI policy does not permit FDI in B2C e-commerce.7 This restriction on foreign investment in B2C e-retail has forced many online business entities with foreign investment to adopt the marketplace model. In this model, the online company runs a website which provides the marketplace— a platform for business transactions between buyers and sellers. In return for the services provided, the online company earns commission from the sellers.8 In this model, ownership of inventory vests with the enterprises (also the ultimate sellers) which advertise their products on the online companys website.9 Thus, the marketplace model is compliant with the FDI policy of India as the online business entity providing the marketplace does not involve itself in any retail transaction or any direct sale to the consumer.( Atreyee Sarkar PSA Legal Counsellors) सर्वविदित है किबहुब्रांड रिटेल एफडीआई का ऐलान करने के बाद भी मूलतः भाजपा के कड़े प्रतिरोध और राजनीतिक बाध्यताओं की वजह से उसे अंजाम तक पहुंचाने में नाकाम रहे डा.मनमोहन सिंह। खुदरा बाजार में एफडीआई का नया तरीका डिजिटल इंडिया में ईकामर्स का फंडा है। गौरतलब है कि मौजूदा मानदंड के हिसाब से देश में जो ई.कामर्स करने वाली कंपनियां व्यापारियों के बीच होने वाले व्यापार में संलग्न हैं और खुदरा कारोबार नहीं करतीं उनमें सौ प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। इसी प्रावधान के मुताबिक ईकामर्स के महाविस्फोट के जरिए खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी का बिग बैंग करने का केसरिया कारपोरेट प्रकल्प है। ताकि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।अमेरिका हित भी सधे और स्वदेशी का अखंड जाप भी जारी रहे।वौॉबैंक बुरबक बनाओइंग का यह नायाब नूस्खा है। टाइम्स नाउ अभी अभी खोलकर बंद किया है क्योंकि वहां अर्णब कश्मीर संकट पर दहाड़ रहे हैं और संसद में वैदिकी प्रलय है। मोदी के खिलाफ जिहाद का ऐलान करनेवाली ,चुनाव के दौरान मोदी को कमर में रस्सी डालकर जेल में डालनेवाली ममता दीदी की तृणमूल पार्टी समेत पूरी बहुरंगी इंद्रधनुषी राजनीति मोदी के सुधार कार्यक्रमों की अनिवार्य संसदीय अनुमति के अनुकूल हैं। मजे की बात है कि मीडिया कोई सूचना दे रहा नहीं है।राजनीति बंजर रेगिस्तान है।लोकतंत्र का तमाशा भी यह कि संसद के बजय सत्र पर बजट पर चर्चा हो नहीं रही है,वैदिकी सभ्यता को लेकर घमासान है। आज लिखने का मन नहीं है,फिर भी लिख रहा हूं।मुद्दे बेहद जरुरी हैं,जिन्हें संसदीय शैली से स्थगित किया नहीं जा सकता। अपनी पीसी पर नहीं हूं।गोलू और पृथू के कंप्यू से लिख रहा हूं जो अब दिल्ली में दाखिला लेंगे।दोनों बच्चे हमारे अच्चे प्आरे दोस्त हैं। अपने फिल्मकार राजीव कुमार कोलकाता से नई दिल्ली फिल्म डिवीजन स्थानांतरित हो गये हैं।काम संभाल लिया है।अब घर भी स्थानातंरित करने वाले हैं।आखिरीबार उनके कलकतिया घर में हूं। इससे पहले पिछली बार जब मैं नये कोलकाता में सिंहीबाड़ी के इस घर आया था तो राजीव और मैं कालिकापुर में बचे हुए धान खेतों और जंगल में भटकते हुए अपना बचपन खोज रहे थे। अब राजीव बचपन के करीब पहुंच गया है।नई दिल्ली से पीलीभीत आठ घंटे की दूरी पर है,जहां बाबूजी और अम्माजी हैंं तो नैनीताल, नैनीताल समाचार ,डीएसबीकालेज, नैनीझील और युगमंच की दूरी भी कमोबेश इतनी ही होगी। मेरा गांव बसंतीपुर दिल्ली से करीब साढ़े छह घंटे की दूरी पर है और कोलकाता से एक हजार मील दूर। मैं अपने गांव और अपने पहाड़ को छू भी नहीं सकता। कल राजीव का सारा सामान दिल्ली रवाना हो जायेगा।अगले मंगलवार को वे दिल्ली में बस जायेंगे। कोलकाता जब आया था ,एकदम अकेला था।मुकम्मल एक भूकंप से गुजरकर आना हुआ था।पूरा गढ़वाल तब भूकंप के चपेट में था। राजीव कुछ ही अरसे पर कोलकाता आ गया था।राजीव की घर वापसी के बाद फिर अकेला हो गया हूं। इस बीच मुंबई से कर्नल सिद्धार्थ बर्वे आ गये हैं।लेकिन वे इतने बिजी रहते हैं और फुरसत मिलते हू मुंबई भाग निकलते हैं कि राजीव की कमी खलती रहेगी। अब हम उन धान के खेतों में भी टहल नहीं सकते। कोलकाता के इस हिस्से में मेट्रो की भारी हलचल है और बाकी हिस्सों की तरह चप्पे चप्पे पर कारपोरेट बाड़ाबंदी है। नई दिल्ली की आबादी ढाई करोड़ की हो गयी है।दिल्ली की बढ़त यूपी,उत्तराखंड और हरियाणा को भकोस रही है। कोलकाता और बाकी महानगरों की भी वही दशा दिशा है। सामने ही मेट्रो कैश एंड कैरी है,जिसका वाम जमाने में शुभारंभ हुआ था भारी विरोध के साथ।यह कंपनी हालांकि खुदरा नहीं,थोक कारोबार करती है। यहां बाईपास पर किराने की दुकानें सिरे से गायब हो गयी हैं।बाजार भी नजर नहीं आते।कतारबद्ध दुकाने नहीं हैं।हास्पीॉल हब है।एजुकेशन हब है।शापिंग कांप्लेक्स हैं। बड़े बड़े अस्पताल हैं और उतने ही बड़े बड़े शापिंग माल मल्टीप्लेक्स। भारत के देहात का यह भावी इतिहास और भविष्य भूगोल है। साइंस सिटी से सोनारपुर तक कहीं कही धान ,मकई और सब्जियों के खेत अब भी दिख जायेंगे।लेकिन हर कहीं गगनचुंबी कंक्रीट का भयावह अरण्य है,जहां गांव,कस्बे और शहर की खुशबू नहीं है।फाइव स्टार होटल जरुर हैं। मकई का खेत फाइव स्टार होटल,रिसार्ट और मरती हुई झीलों की लाशें। वैदिकी की पाकिस्तान यात्रा निजी रही होगी। हो सकता है कि वे वहां नमो महारज के नुमांइदे भी नहीं रहे होंगे। भारतीय दूतावास भी उनकी गतिविधियों से अनजान रहा हो और पाकिस्तान की सरकार मोदी से दोस्ती की गरज से इस संघी पत्रकार को आजाद पत्रकारिता की पूरी इजाजत दी हो। आजाद पत्रकार को किसी से भी मिलने की इजाजत होनी चाहिए और कलम पर अंकुश न हो और जुबान पर ताला भी न जड़ा हो,यह लोकतंत्र का तकाजा है। जब प्रशांत भूषण के बयान पर चुनाव पूर्वे हंगामा बरपा था तब भी हमने लिखा था कि कश्मीर अब भी भारत का अंग है और उस पर कोई भी भारतीय नागरिक को अपने विचार रखने का हक है। हमारे हिसाब से दोनो कश्मीर के एकीकरण और फिर उसकी आजादी के हक में वैदिकी विचार उतना बड़ा राष्ट्रद्रोह नहीं है,जितना विदेशी पूंजी को देश बेचने के कारोबार का इसे अंब्रेला बना देना है। बजट सत्र का यह गजब डायवर्सन है। मीडिया जनात को वैदिकी संस्कृति में निष्णात करने का पुण्यकर्म कर रहा है। कश्मीर के बहाने उग्र हिंदू राष्ट्रवाद का आवाहन है और इस नजरिये से कश्मीर बाकी देश के लिए गाजा पट्टी है। संघ परिवार ने संसदीय सत्र के दौरान एफडीआई,विनिवेश और दूसरे तमाम मुद्दों के खिलाफ बेहद शातिराना ढंग से यह वैदिकी पैट्रियट तैनात कर दिया है,इस तरफ भी गौर करें। अब जो हो पूरे बजट सत्र में कम से कम बजट पर चर्टा न हो,ऐसा इंतजाम हो गया है।सबकी अपनी अपनी राजनीति जारी रहेगी। संसद से बाहर एक सुर और संसद के भीतर अलग अलग सुर में समवेत गान विकास का। हो सकता है कि वह बहुचर्चित सोशल मीडिया फोटो प्रचार पाने की ललक ही न हो,जैसा जोर शोर से कहा जा रहा है। बल्कि इस क्रांतिकारी केसरिया पोस्टिंग की टाइमिंग से पता चलता है कि यह विसुद्ध वैदिकी कार्रवाई तमाम करोड़पति अरबपति सासंदों को जनता के मुद्दों को संबोधित करने,राष्ट्र की सरकार के एफडीआई विनिवेश सुधार राष्ट्रद्रोह पर चर्चा की तकलीफ न देने के लिए संघ परिवार की ओर से एक और मनोरंजक रियेलिटी शो की प्रस्तुति है। संवेदनशील तमाम सेक्टरों में एफडीआई में प्रतिरक्षा के अलावा भारत के खुदरा बाजार पर अमेरिकी दांव सबसे ज्यादा है। और मजे की बात है कि बनिया पार्टी अब तक अपने कारोबारी वोटबैंक के हितों के मुताबिक इसका सबसे ज्यादा विरोध करती रही है। मनमोहन सरकार के फेल होने की बड़ी वजह यह असंभव रिटेल एफडीआई है। भूमि सुधार कानून को खत्म करने की पूरी तैयारी है और दूसरे कानून भी बदले जाने हैं,जिनपर हम सिलसिलेवार लिखते रहेंगे। लेकिन भारतीय जनता को ई कामर्स मार्फत मल्टी नेशनल कंपनियों को रिटेल कारोबार का एक तिहाई कब्जाने का फंडा बताना जरुरी है। संसद में जाहिर है कि एफडीआई और विनिवेश से लेकर रियल्टी सरकार की हर पेशकश को सर्वानुमति तय है और वैदिकी तमाशे के अलग अलग संसकरणों के सीरियल युद्ध से इस नाटक का भी पटाक्षेप हो जाना है तो जनता को आखिर कैसे मालूम हो कान कैसे घूमाकर पकड़कर बनिया पार्टी सरकार ने अपने सबसे मजबूत केसरिया वोटबैंक के कत्लेआम का स्थाई बंदोबस्त मुकम्मल कर दिया है। बायोमेट्रिक डिजिटल नागरिकता और नागरिकता संशोधन कानून के बारे में हम पूरे एक दशक से ज्यादा वक्त से लिख बोल रहे हैं,कोओी समझा भी है कि नहीं मालूम। अब इसे एक सूत्र में समझें कि केसरिया कारपोरेट सरकार का जो बुलेट हीरक चतुर्भुज सेज गलियारा इंफ्रास्ट्रक्टर समन्वय है ,वह जैसे विशुद्ध छिनाल सांंढ़ संस्कृति का रियल्टी प्रोमोटर बिल्डर विदेशी पूंजी वर्चस्व का नजारा है और आदिगंत एथनिक क्लींजिंग है,नस्ली कत्लेआम,जल जंगल जमीन नागरिकता,आजीविका, रोजगार पर्यावरण से बेदखली है जैसे वह,उसीतरह डिजीटल इंडिया का मतलब है रिटेल एफडीआई डायरेक्ट टू होम है। इसे इस तरह समझें कि मेट्रो कैश एंड करी के पंजीकृत बड़े बड़े थोकदार हैं और उन्हें रिटेल की अनुमति नहीं है। वालमार्ट को रिटेल की अनुमति नहीं है,लेकिन फ्लिपकर्ट,फ्यूचर,अमाजेन,ईबे समते सारी विदेशी कंपनियों को ई कामर्स की अनुमति है। यानी ई कामर्स के जरिये रिटेल कारोबार डायरेक्ट होम डेलीवरी की अनुमति है। बाजार लांघकर नेटवर्किंग के अमाय उपाय से बड़ा चमत्कार है यह। हालांकि ई-कामर्स के क्षेत्र में एफडीआई की मंजूरी के बारे में मंत्री ने कहा कि वित्त मंत्रालय को इस बारे में निर्णय करना होगा। उन्होंने कहा, अभी इस बारे में अंतिम निर्णय लेना है... गांव गांव सूचना क्रांति माध्यमे से जोड़ दिये जाये तो न देशी बाजार की जरुरत होगी और न देशी उत्पाद की और न देशी उत्पादन प्रणाली की।दिल मांग मोर तो मिलेगा।जो चाहो मिलेगा। देशी थोक कारोबारियों को किनारे करके किराना दुकानों को सीधे एकाधिकार कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ने की कवायद जैसे हो चुकी है ,वैसे ही यह ईकामर्स ई रिटेल एफड़ीआई है। गौरतलब है कि यूपीए जमाने में 27 जनवरी 2013 को एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने दूरसंचार और आईटी मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर बिजनेस..टु..कंज्यूमर :बी2सी: ई..कामर्स पर मौजूदा प्रतिबंध को हटाने में अपना समर्थन देने को कहा था। कपिल सिब्बल खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लाने के प्रमुख पैरोकारों में से एक थे। रावत ने तब कहा था कि इस क्षेत्र से आय वर्ष 2015 तक 15 अरब डालर के दायरे में पहुंचने का अनुमान है। इस निवेश का लाभ किसानों एवं अन्य घरेलू उत्पाद कंपनियों तक पहुंच सकता है जिससे उन्हें अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य हासिल करने में मदद मिलेगी। एसोचैम के महासचिव ने चीन का उदाहरण दिया जहां ई कामर्स ने करीब 500 चीनी कंपनियों को वैश्विक वेबसाइट के जरिये निर्यात करने की अनुमति है। अब भारत में वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी वेबसाइट के जरिये बिजनेस..टु..कंज्यूमर :बी2सी: ई..कामर्स के तहत रिटेल कारोबार की इजाजत दे दी है बनिया पार्टी ने और देश अगर डिजिटल बन गया तो बिना रिटेल एफडीआई के भी बनिया पार्टी की सरकार बनिया दुकानों का सफाया कर देगी। एकाधिकार पूंजी के अलावा डिजिटल देश में बिना एफडीआई खुदरा कारोबार से छोटे मंझोले से लेकर बड़े कारोबारियों का इंतकाल हो जाना तय है। लेकिन संघ परिवार का यह कर्मकांड भी परम वैदिकी है क्योंकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व के दावे के साथ ही ई कमार्स फंडा मार्फते अमेरिकी कंपनियों को रिटेल अनुमति दिलाने की रणनीति तय ह गयी थी,अब उसका रोडमैप जो पहले से तैयार ता,उसीपर बुलेट ट्रेन टल पड़ी है।मोदी ने व्यापार संगठनों को चुनाव पूर्व ही चेता दियाथा कि ई कामर्स के जरिये वैश्विक प्रतिद्वंदिता के लिए तैयार रहे। रक्षा,विमानन,बैंकिंग,बीमा,शिक्षा,चिकित्सा,परिवहन,निर्माण विनिर्माण, खनन, ऊर्जा, संचार,आटो,इलेक्ट्रानिक्स,इंजीनियरिंग,खाद्य,शीतल पेय समेत तामाम सेक्टरों में वैश्विक प्रतिद्वंद्विता का नजारा हम देख ही रहे हैं और अब रिटेल में भी क्लाउड साफ्टवेयर। गौरतलब है कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सुधार के बाद यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) ने पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पी चिदंबरम से ईकामर्स के जरिए भारतीय उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष विदेशी बिक्री (एफडीएस) पर लगी रोक हटाने और विदेशी कंपनियों को रीयल एस्टेट में प्रत्यक्ष स्वामित्व लेने की अनुमति देने को कहा था। भारत में कारोबार कर रही अमेरिकी कंपनियों के शीर्ष निकाय ने वित्त मंत्री से कहा, यूएसआईबीसी का मानना है कि खुदरा क्षेत्र के विकास में अगला कदम ईकामर्स के जरिए भारतीय उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष विदेशी बिक्री पर लगी रोक हटाना है।2013 के दौरान ही बजट पूर्व सौंपे जाने वाले 23 पन्नों के ज्ञापन में यूएसआईबीसी ने कहा कि भारत के खुदरा बाजार के लिए इस तरह के आनलाइन दृष्टिकोण से कई तरह से देश को फायदा हो सकता है। सरकार ने अपनी डिजिटल भारत पहल के तहत 500 करोड़ रपये का आवंटन करने की घोषणा की है। इसके तहत गांवों में ब्रॉडबैंड नेटवर्क लगाया जाएगा और हार्डवेयर तथा भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पादों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि विनिर्माण इकाइयों को अपने उत्पाद रिटेल और ई कामर्स प्लेटफार्म के जरिये बेचने की अनुमति होगी।लेकिन यह अनुमति दरअसल बहुराष्टॉरीयएकाधिकारवादी कंपनियों को होगी। मजा इसमे यह भी है कि देशी खुदरा बाजार के सफाये के इस बहुराष्ट्रीयतंत्र को रोजगार सृजन से जोड़ा जा रहा है और महिमामंडल यथा हैः घरेलू ई-खुदरा क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा अपने कारोबार का आक्रामक तरीके से विस्तार करने की रणनीति से इस क्षेत्र में नियुक्तियां 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ेंगी। इससे इस क्षेत्र में अगले दो-तीन साल में 50,000 रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। अब थोढ़ी पीछे लौटें, मानव संसाधन क्षेत्र की प्रमुख सलाहकार कंपनी रैंडस्टैड इंडिया ने कहा कि इस क्षेत्र में अगले कुछ साल में नियुक्तियों में 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा होगा। इस बाजार में घरेलू ऑनलाइन स्टार्टअप और ईकामर्स बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारतीय बाजार में प्रवेश से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा। एक अन्य मानव संसाधन फर्म यूनिसन इंटरनेशनल ने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान ई कामर्स क्षेत्र में नियुक्तियों की रफ्तार काफी धीमी रही है। हालांकि अब कई खुदरा ब्रांड अपने कारोबार को ऑनलाइन ला रहे हैं, जिससे पिछले साल की तुलना में इस साल नियुक्तियों में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। जिगसा अकादमी के निष्कर्ष के अनुसार अगले तीन साल में ई कामर्स क्षेत्र में डाटा विश्लेषक पेशेवरों के पदों पर 15,000 से 50,000 नियुक्तियां होंगी। हाल में घरेलू ई कामर्स क्षेत्र में एक बड़ा विलय सौदा मिन्त्रा व फ्लिपकार्ट में हुआ है।इसके अलावा एक अन्य घरेलू कंपनी स्नैपडील को नए निवेशक मिले है।. वैश्विक ई कामर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमेजन ने कहा कि यह उद्योग काफी तेजी से बढ़ रहा है और इसमें वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। एचआर सलाहकार मेराजॉब इंडिया के सीईओ पल्लव सिन्हा ने कहा कि यह क्षेत्र निश्चित रूप से धमाकेदार वृद्धि की ओर अग्रसर है। कुछ पुरानी स्मृतियांः संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की नीतिगत पहल को लेकर भ्रामक प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को विपक्ष की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सहित सरकार की विभिन्न नीतियों से आम आदमी को फायदा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। एफडीआई से किसान तबाह हो जाएंगे : जोशी विदेशी दबाव में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने का आरोप लगाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार की इस नीति से छोटे व्यापारी एवं किसान खासकर छोटे एवं सीमांत कृषक तबाह हो जाएंगे। रिटेल में एफडीआई से किसानों को मिलेगी मदद: पवार कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को कहा कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में निवेश को बढ़ाएगा और कटाई के बाद फसल हानि को कम करेगा जिससे अंतत: किसान और उपभोक्ता लाभान्वित होंगे। एफडीआई के भंवर में खुदरा कारोबार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी दे दी है। इसका राजनीतिक दलों की ओर से भारी विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वालों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में शामिल राजनीतिक दल भी हैं और वे दल भी हैं जो सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। खुदरा कारोबार खोलना सबसे बड़ा आर्थिक सुधार प्रमुख अमेरिकी अखबारों ने भारत द्वारा बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार और विमानन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने के फैसले को पिछले दो दशक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है हालांकि आशंका जताई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के लिए ये प्रस्ताव बड़े राजनैतिक जोखिम भरे हैं। खुदरा कारोबार में 15 अगस्त से उतरेगा सहारा सहारा इंडिया ने मिलावट रहित उत्पाद पेश करने के वायदे के साथ खुदरा कारोबार क्षेत्र में उतरने की आज घोषणा की। रिटेल में एफडीआई राजनीतिक सहमति के बाद: अश्वनी योजना राज्यमंत्री अश्वनी कुमार ने आज यहां कहा कि बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने के बारे में सरकार राजनीतिक सहमति बनने के बाद ही कोई फैसला करेगी। बार्कले इंडिया ने समेटा खुदरा कारोबार बार्कले इंडिया ने गुरुवार को कहा कि वह भारत में अपना खुदरा कारोबार समेट रही है। कंपनी ने कल ही अपना आधा क्रेडिट कार्ड कारोबार स्टेनचार्ट इंडिया को बेच दिया है।
Posted on: Wed, 16 Jul 2014 08:15:36 +0000

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