ओ३म् कया नश्चित्र आ - TopicsExpress



          

ओ३म् कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा | कया शचिष्ठया वृता || साम ६८२ || एक वृद्ध की अदभुत माया | उसको हमने सखा बनाया || सर्व वृद्धि आगार वही है | अनुपम युवा अपार वही है | सदैव साथ हमारे रहता रखता हम पर अपनी छाया || हम किसको मित्र बनाते हैं | जो हमें बचाने आते हैं | अपना एक अनोखा बूढ़ा, जिसने आकर तरुण बचाया || जिसके सशक्त आवर्तन हैं | हम जिससे करते वर्तन हैं | हम दोनों का व्योम एक ही उसने सच्चा साथ निभाया उसको हमने सखा बनाया || *********************** राजेन्द्र आर्य, संगरूर (पंजाब) चलभाष: 9041342483
Posted on: Sun, 16 Jun 2013 05:11:52 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015