बहुत हो चुका है अँधेरा - TopicsExpress



          

बहुत हो चुका है अँधेरा वतन में, हमें दीप मिलकर जलना पड़ेगा ॥ ये सत्ता के लोभी, ये वहशी दरिन्दे, लगे हैं हमारा चमन बेचने में । गरीबों कि थाली से रोटी चुराकर, लगे हैं ये काफिर मटन नोचने में ॥ प्रजातंत्र क्या है प्रजा की क्या ताकत, ये एहसास इनको दिलाना पड़ेगा । बहुत हो चुका है अँधेरा वतन में, हमें दीप मिलकर जलना पड़ेगा ॥ मयस्सर हैं सब भोग आतंकियों को, भूंखा है बचपन, नहीं एक रोटी । डनलफ़ के गद्दों पे गद्दार सोते, सिपाही की बेवा है बदहाल रोती ।। बहुत सो लिए हैं, बहुत रो लिए हैं, उठो अब के तूफ़ान लाना पड़ेगा । कदम से कदम अब मिलाना पड़ेगा, हमें दूरतक साथ जाना पड़ेगा ॥
Posted on: Wed, 07 Aug 2013 12:53:24 +0000

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