रोहित कुमार भाई वेद इश्वर की वाणी है, पाखंड से कोसो दूर, इसलिए हर पाखंडी केवल और केवल वेदों का विरोध करता है, उसे सपने में भी वेदों में बुराई दिखती है, और कुछ तो ऐसे छदम विरोधी होते है जो वेदों की तुलना अन्य ग्रंथो से करते है वेदों के समान तो कोई ग्रन्थ ही नहीं है, फिर चाहे तो अन्य सनातनी ग्रन्थ हो या विदेशी ग्रन्थ, वेदों के अतिरिक्त अन्य कोई भी ग्रन्थ इतना परिपक्व नहीं की वो ईश्वर वाणी कहा जाए,
Posted on: Sat, 09 Nov 2013 14:20:00 +0000
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