महर्षि दयानंद और - TopicsExpress



          

महर्षि दयानंद और मैक्समूलर - मैक्समूलर जिन्होंने वेदों का गलत भाष्य किया महर्षि दयानंद के आविभार्व के पश्चात वे भी दयानंद की वेदविषयक क्रांति से प्रभावित हुए बिना न रह सके और अमने अंतिम ग्रंथ (The Six System of Philosophy) में उन्होंने स्वीकार्य किया कि वेदों में इन्द्र, मित्र, वरुण , अग्नि आदि सभी ईश्वर के नाम हैं | जिस बात को कभी व्यंग्य के रूप में कहा जाता था, उसे तथ्य के रूप में स्वीकार्य करते हुए (Biographical Essay) में स्वामी दयानंद पर लिखे निबंध में लिखा - To Swami Dayanand everything contained in the vedas wan not only perfect truth, but he went up one step further and by their interpretation , succeeded in persuading other that everything worth-knowing -- even the most recent invention of modern science were alluded to in the vedas. Steam engines, electric , telegraphy and wireless microgram were shown to have been know at least in the germs to the poets of vedas. अर्थात- स्वामी दयानंद की दृष्टि में वेदों में पूर्ण सत्य का ही प्रतिपादन किया गया है | इतना ही नहीं , वे एक कदम और आगे बढ़े और उनकी व्याख्या द्वारा उन्होंने औरों को भी यह विश्वास दिलाने में सफलता प्राप्त की कि जो कुछ भी ज्ञातव्य है , जिसमें भाप के इंजन, बिजली , तार ,बेतार आदि भी सम्मिलित हैं , वर्तमान विज्ञान के इन सब नवीनतम आविष्कारों का भी वैदिक ऋषियों को ज्ञान था | अभिप्राय यह है की ऋषि दयानंद के जीवनकाल में ही वेद गडरियों के गीत न रहकर ज्ञान विज्ञान के मूल स्त्रोत के रूप में प्रतिष्ठित होने लगे थे || विपुल मीमांसक ||
Posted on: Fri, 25 Oct 2013 15:20:17 +0000

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