A Fiction.... तथ्यो पर आधारित एक - TopicsExpress



          

A Fiction.... तथ्यो पर आधारित एक परिकल्पना बहुत पहले हमारे साथी दिनेश जी ने अपने पुस्तैनी शिव मन्दिर मे तथागत बुद्ध की मुर्ती का फोटो भेजा था जो बुद्ध की सामान्य मुद्राओ से काफी भिन्न था। वो जानना चाहते थे कि सच्चाइ क्या है? मुझे उस मामले मे ज्यादा कुछ पता नही इस लिये कोइ उत्तर नही दी। आज हमारे साथी अरुन जी ने एक ऎसी (हूबहू) प्रतिमा डान्डिया खेडा से भेजा जो कि वहा के शिव मन्दिर मे था। यह कही से भी शिव की मूर्ति है ही नही लेकिन परम्परागत बुद्ध की मूर्ति भी नही है,हा पूर्वी देशो मे बुद्ध की ऎसी प्रतिमा जरूर मिलती है।.... इन बातो के सन्ग्यान मे आते ही मेरा दिमाग घूम गया क्यो कि डौन्डिया खेडा निश्चित रूप से प्राचीन बौद्ध स्थल था। ये लेख टूटे हुए तथ्यो की कडियो को जोडने का प्रयास मात्र है। जब एक सम्प्रदाय के रूप मे स्लाम का जन्म भी नही हुआ था उस समय तत्कालीन भारत मे अनेक सान्स्क्रितिक समूह थे जिनके बीच सन्घर्ष भी होते रहे। बात शिव की करते है, शिव का जो प्रमाणिकता है वो एक जटिल रहस्य की तरह है जिसे किसी धर्म,समाज से जोडकर देख पाना लगभग असम्भव है। प्राचीन साहित्यो मे रुद्र जो एक अनार्य केरेक्टर है जिसे उपनिषद मे अग्नि का रूप भी बताया गया है, कालान्तर मे यही रुद्र शिव के रूप मे स्थापित हो जाता है। अलग अलग सन्स्क्रितियो मे कम प्रचलित देवता के भी इसी तरह शिव मे स्थापित हुए देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र मे पूजे जाने वाले खण्डोबा देवता जो कि किसानो आदि पूजते है, वहा भी खन्डोबा देवता शिव के रूप मे प्रतिस्थापित है और पूजे भी जाते है। रुद्र से शिव,रुद्र से अग्नि फिर अग्नि से शिव तथा इसी तरह खन्डोबा से पुन: शिव ...... ये सब उस सान्स्क्रितिक युद्ध की तरफ इशारा कर रहे है जो स्लाम के आने से भी पहले हुआ। ऎसी ही Esoteric Doctrin की श्रेणी मे वैश्णव सम्प्रदाय भी आता है। जैसा कि हम देख सकते है कि किस तरह से वैषणव सम्प्रदाय ने बुद्ध को नवा अवतार न सिर्फ खोषित कर दिया बल्कि सदियो तक पूरी तरह उस सन्स्क्रिति को हाईजैक कर रखा उसी तरह डान्डिया खेडा का यह चित्र और दिनेश जी द्वारा भेजा गया वह चित्र ये बताता है कि बुद्ध के दर्शन को भी इसी तरह हाइजैक किया गया। हालाकि शैव सन्स्क्रिति पुरोहित समुदाय के अनुकूल नही बैठा और यह वैषणव सम्प्रदाय की तरह प्रचारित नही हो पाया। इन शैव मन्दिरो मे बुद्ध की ये दुर्लभ प्रतिमाये सामान्य जन मानस तथा पुरोहित समाज द्वारा समर्थित सान्सक्रितिक सन्घर्षो का एक प्रमाण है। जिसमे बुद्ध को जहा शैव सम्प्रदाय ने तथा वैष्णव सम्प्रदाय के हाई जैक करने का प्रयास किया है। अनेको सन्स्क्रितिओ मे मौजूद रहस्यवादी पन्थो (Esoteric Doctrins) का विक्रित प्रचलन इस बात का सबूत है। ये सारा का सारा कचरा मेरिट वाले पुरोहितो की देन है। सत्यमेव जयते
Posted on: Wed, 06 Nov 2013 06:51:57 +0000

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